जोधपुर। पाली जिले के सादड़ी कस्बे में स्थित राजकीय सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है। राजीव गांधी एकता समिति के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष दिनेशसिंह राजपुरोहित ने अस्पताल में मरीजों को दी जा रही चिकित्सा सेवाओं की पड़ताल के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
मरीजों की उपेक्षा, जरूरी जांच भी नहीं हुई
दिनेशसिंह राजपुरोहित के अनुसार, अस्पताल में मरीजों को भर्ती किए जाने के बावजूद उनकी जरूरी चिकित्सा जांच समय पर नहीं की जाती। उन्होंने एक मरीज का उदाहरण देते हुए बताया कि मरीज को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया, लेकिन दो दिन तक खून की जांच और एक्स-रे जैसी बुनियादी जांच भी नहीं की गई। जब उन्होंने चिकित्सकों से इस पर सवाल किया, तब तीसरे दिन एक्स-रे कराने का निर्देश दिया गया, जबकि खून की जांच अब भी नहीं की गई।
डॉक्टर की लापरवाही और प्राइवेट प्रैक्टिस का खेल
राजपुरोहित ने डॉ. अविनाश चारण पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में तैनात डॉक्टर मरीजों के इलाज में लापरवाही बरत रहे हैं और अपनी निजी प्रैक्टिस पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहले से ही भारी कमी है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए प्राइवेट क्लीनिक में ज्यादा रुचि ले रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ये डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, लेकिन अपनी आय को सही तरीके से कर विभाग को नहीं दिखा रहे। उन्होंने आयकर विभाग से डॉक्टरों की कमाई और उनकी संपत्ति की जांच कराने की मांग की है।
मरीजों की जान से खिलवाड़, गलत डॉक्टर कर रहे इलाज!
राजपुरोहित ने अस्पताल में हो रही अनियमितताओं की ओर इशारा करते हुए बताया कि ओपीडी में मरीजों की जांच सही डॉक्टर द्वारा नहीं की जा रही। मरीज़ जिनका इलाज सामान्य चिकित्सकों द्वारा किया जाना चाहिए, उन्हें हड्डी रोग विशेषज्ञ द्वारा देखा जा रहा है। इससे मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा और उनकी सेहत से खिलवाड़ हो रहा है।
राज्य सरकार और चिकित्सा विभाग पर उठे सवाल
इस मामले में राजस्थान की भजनलाल सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या वे ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेंगे या सिर्फ वादे ही किए जाएंगे?
राजपुरोहित ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस लापरवाही पर तुरंत संज्ञान नहीं लिया गया, तो यह मामला उच्च स्तर तक ले जाया जाएगा। उन्होंने जिला चिकित्सा अधिकारी को इस पूरे मामले की लिखित शिकायत देकर मरीजों की केस फाइलों की जांच की मांग की हैं।साथ ही, चिकित्सा विभाग के मंत्री को भी इस लापरवाही के बारे में सूचित किया गया हैं।
क्या होगी कार्यवाही?
•डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस और टैक्स चोरी की जांच होनी चाहिए।
•हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टरों की जवाबदेही तय कर, लापरवाह डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
•मरीजों के इलाज में हो रही देरी और लापरवाही के लिए दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएं।
•सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
अब देखना यह है कि क्या भाजपा की डबल इंजन सरकार इस पर कोई ठोस कार्रवाई करेगी या फिर जनता को सिर्फ वादों में उलझाकर रखेगी?