-अब डीएनए कराएगा पहचान
सामना संवाददाता / मुंबई
दो दिन पहले ठाणे जिला सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा बरती गई लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा दोनों को ही जान गंवानी पड़ी थी। यह मामला अभी तक ठंडा नहीं हुआ था कि नासिक जिला अस्पताल में टैग में हुई घपलेबाजी से नवजातों की अदला-बदली हो गई है। इस मामले में अस्पताल में कार्यरत आठ लोगों पर कार्रवाई करते हुए सभी को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही परिजनों की मांग पर डीएनए टेस्ट किया जाएगा। डीएनए टेस्ट के बाद ही इस राज से पर्दाफाश होगा।
अस्पताल में रविवार की रात नांदूर नाका निवासी प्रीती पवार नामक महिला प्रसूति के लिए भर्ती हुई थी। उस समय अस्पताल ने बताया कि उसने एक लड़के को जन्म दिया है। यह सुनकर परिवार ने खुशी मनाई और अस्पताल ने अपने रजिस्टर में लड़के के जन्म की जानकारी भी दर्ज की। बच्चे का वजन कम होने के कारण उसका इलाज गहन चिकित्सा इकाई में किया गया। इलाज के दौरान देखा गया कि बच्चे के पेट में पानी था। इसलिए डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज के लिए परिवार को किसी निजी अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। डॉक्टरों की सलाह के अनुसार परिवार ने डिस्चार्ज ले लिया। इसके बाद मंगलवार की रात जब प्रीती पवार को डिस्चार्ज किया गया, तो उसे एक लड़की दी गई। इससे परिवार को बड़ा झटका लगा क्योंकि उन्हें पहले लड़के के जन्म की जानकारी दी गई थी। परिवार ने लड़की को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अस्पताल में हंगामा करने लगे। इस घटना से अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। परिवार ने अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ शिकायत की और जांच की मांग की। परिवार द्वारा लड़की को अस्वीकार करने के बाद अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों ने परिवार के साथ बातचीत की, लेकिन परिवार किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं हुआ। ‘प्रहार’ संगठन और परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर कई आरोप लगाए।