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बाबा की पुलिस का नया कारनामा! …अपराधी माताप्रसाद के बजाय शिक्षक माताप्रसाद का बंदूक लाइसेंस कर दिया सस्पेंड, भेजी निरस्तीकरण की नोटिस

* प्रकरण डीजीपी के संज्ञान में आने के बाद बगले झांक रहे प्रतापगढ़ के लालगंज सीओ-एसएचओ !

विक्रम सिंह/प्रतापगढ़
यूपी में योगी बाबा की पुलिस आए दिन कारनामे करती रहती है। फिलहाल प्रतापगढ़ जिले की पुलिस की एक अजूबी करतूत प्रकाश में आने के बाद ऊपर से नीचे तक के सारे अफसर निरुत्तर हैं और पीड़ित से शिकायत वापस लेने के लिये दबाव बनाने में लग गए हैं।
वाकया कुछ यूं है। लालगंज थानांतर्गत पुरनैन पंडित पुरवा निवासी माता प्रसाद के खिलाफ करीब दो साल पहले संगीन धाराओं में पुलिस ने केस दर्ज किया था। केस में चार्जशीट भी न्यायालय भेज दी।.. लेकिन अजूबा आगे शुरू किया। इन्हीं पंडित पुरवा निवासी माताप्रसाद के खिलाफ दर्ज केस का हवाला देकर क्षेत्र के रामपुर बावली गांव निवासी प्रिंसिपल सुरेश सिंह के पिता माताप्रसाद सिंह के खिलाफ शुरू कर दी शस्त्र निरस्तीकरण की कार्रवाई ! जबकि इंटर कालेज के प्रिंसिपल सुरेश सिंह के पिता माता प्रसाद सिंह के खिलाफ कभी भी कोई पुलिस केस नहीं हुआ न ही किसी आपराधिक कृत्य में ही नाम आया। अलबत्ता आत्मरक्षार्थ एक लाइसेंसी बंदूक जरूर उन्होंने रख रखी है। बस उसी बंदूक का लाइसेंस निरस्तीकरण के लिये लालगंज कोतवाल नीरज यादव व सीओ राम सूरत सोनकर ने कार्रवाई संस्तुति की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दी। हैरत है कि डीएम प्रतापगढ़ ने भी बगैर जांचे बघारे उसी रिपोर्ट के आधार पर शिक्षक माताप्रसाद सिंह की बंदूक का लाइसेंस निलंबित कर निरस्तीकरण कार्रवाई के लिये नोटिस जारी कर दी। अगले दिन जब मीडिया की खबरों से जानकारी मिलने के बाद उन्होंने इस ‘बेलज्जत गुनाह’ का कारण जानने की खातिर अफसरों की चौखट नापनी शुरू की तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब न मिला। हैरान-परेशान शिक्षक माताप्रसाद ने डीजीपी प्रशांत कुमार को पत्र भेज मामले की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस-प्रशासन हरकत में आया। वो भी कुछ इस तरह कि.. सभी रिपोर्ट भेजने में तकनीकी त्रुटि स्वीकार करते हुए पीड़ित से ही शिकायत वापस लेने के लिये लानत-मलानत करने में लग गए हैं। उधर, एएसपी संजय राय का कहना है कि, प्रकरण संज्ञान में आया है। हम इसकी सघन जांच कर रहे हैं कि त्रुटि कहां से हुई। फिलहाल पीड़ित शिक्षक अपने मान-सम्मान के लिये पुलिस से समझौता करने के मूड में नहीं हैं और एसएचओ व सीओ के खिलाफ दंडात्मक विभागीय कार्रवाई की मांग पर अड़ गए हैं।

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