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नई मुंबई परियोजना पीड़ितों को शिंदे सरकार ने बेवकूफ बनाया! …शिवसेना महानगरप्रमुख ने की प्रकल्पग्रस्तों के निर्माण-कार्य कानूनों को लागू करने की मांग

सामना संवाददाता / नई मुंबई
नई मुंबई के परियोजना प्रभावित बंधुओं द्वारा अपनी जरूरतों के चलते किए गए निर्माण कार्यों के नियमितीकरण को लेकर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून को लागू करने की मांग पूर्व नगरसेवक एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के महानगरप्रमुख सोमनाथ वास्कर ने की है। सोमनाथ वास्कर का आरोप है कि विधानसभा चुनाव में नई मुंबई, पनवेल और उरण के परियोजना प्रभावित बंधुओं के वोट पाने के लिए शिंदे सरकार ने उनके निर्माण-कार्य के नियमितीकरण के संबंध में निर्णय पारित किया था। उसके लिए सिडको प्रशासन द्वारा आवश्यकतानुसार एक विभाग भी स्थापित किया गया।
हालांकि, जीत के बाद नई मुंबई, पनवेल, उरण क्षेत्र में परियोजना पीड़ितों का मुद्दा अभी भी लंबित है। इसका सीधा अर्थ यही निकलता है कि शिंदे सरकार ने नई मुंबई, पनवेल और उरण के परियोजना प्रभावित बंधुओं को बेवकूफ बनाकर उनके साथ छल किया। महायुति सरकार आने के बाद से परियोजना प्रभावित स्थानीय लोगों का मसला जटिल होता चला गया है।
बता दें कि परियोजना पीड़ितों की अर्जित भूमि के मुआवजे के रूप में १२.५ प्रतिशत भूखंड आवंटित नहीं किया गया है। लॉटरी सिस्टम बंद कर दिया गया है। लॉटरी का एक नया सिस्टम सामने आया है। जो प्रति गुंठा १० लाख रुपए दलाल के मार्फत जमा कराएगा, वही लॉटरी के लिए पात्र है। यह पात्रता प्रक्रिया एमआईडीसी प्लॉट के लिए भी है इसलिए सभी सामान्य परियोजना पीड़ितों की उपेक्षा की जाती है। नई मुंबई, पनवेल, उरण इलाके में परियोजना पीड़ितों द्वारा किए गए निर्माण के खिलाफ तोड़क कार्रवाई की जा रही है। कहा जाता है कि अनधिकृत निर्माण को लेकर मुंबई हाई कोर्ट ने संबंधित प्रशासन को आदेश पारित किया है। सरकार न्यायालय के आदेश का पालन करे इसमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन तत्कालीन सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों के प्रकल्पग्रस्त द्वारा जरूरी निर्माण कार्य को नियमित करने का जो कानून पारित किया है, यदि वह जुमला नहीं है तो सरकार इस संबंध में कोर्ट में एक गारंटी पत्र सादर करे।

`डबल ए’ नाम के एजेंट का एकाधिकार
वास्कर का आरोप है कि जब से शिंदे नगर विकास मंत्री बने थे, तब से `डबल ए’ नाम के एक एजेंट ने अपना एकाधिकार बना रखा है। उनका आरोप है कि एजेंट के मार्फत १० लाख रुपए प्रति गुंठा जमा करवाता है, वही लॉटरी का पात्र होता है और यही मॉडल एमआईडीसी के भूखंड के लिए भी अपनाया जा रहा है। इसके अलावा सिडको के अधिकारियों का भी प्रति गुंठा रेट तय है।

मुख्यमंत्री फडणवीस को लिखा पत्र
इसका सबसे ज्यादा नुकसान परियोजना से प्रभावित लोगों को हो रहा है, क्योंकि प्रति गुंठा १० लाख रुपए देना उनके बस की बात नहीं होती और जैसे-तैसे जुगाड़ करना उनकी आर्थिक कमर तोड़कर रख देता है। वास्कर ने इस संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर परियोजना से प्रभावित प्रकल्पग्रस्तों के निर्माण कार्य को नियमित करने की प्रस्ताव को लागू करने की मांग की है।

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