– बिना विभाग के मंत्रियों के साथ हुआ सत्रावसान
-६५ सालों में पहली बार बिना काम घूमते नजर आए मंत्री
रामदिनेश यादव / नागपुर
महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल वर्ष १९६० में बना था। तब से परंपरा अनुसार, विधानमंडल के सत्र से पहले ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाता था और मंत्रियों को उनके विभाग सौंप दिए जाते थे। वे अध्ययन कर विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्षी दल पहुंचते और विपक्षी दलों के सवालों का जवाब भी देते थे, लेकिन महाराष्ट्र सरकार का वर्ष २०२४ में शीतकालीन सत्र पहला ऐसा अधिवेशन है, जिसमें मंत्री तो थे, लेकिन उनके पास विभाग नहीं थे। विधान परिषद में विपक्ष नेता अंबादास दानवे ने कहा कि मंत्रिमंडल का गठन के बावजूद बिना विभाग के मंत्रियों के अधिवेशन हुआ। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
महायुति सरकार में मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस ने ७ दिन बाद भी मंत्रियों को उनके विभाग नहीं बांटे। सत्र समाप्त होने के बाद देर रात को मंत्रियों को विभाग दिए गए। ऐसा ६०-६५ सालों में पहली बार हुआ है। ऐसा दावा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक भास्कर जाधव ने किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि बिना विभागों के ही मंत्री अधिवेशन में घूम रहे हों, लेकिन इस सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि इस बीच मंत्रियों ने न तो कामकाज किया और न ही अधिकारियों की कोई बैठक ली।
बता दें कि विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद इस बार मंत्रिमंडल में किसे स्थान मिलेगा, इस पर बड़ी उत्सुकता थी। कई नेताओं का नाम कट गया और नाराजगी भी देखने को मिली। इधर नागपुर में शपथविधि के बाद ही विधानसभा का सत्र शुरू हो गया, जिसके कारण महायुति के तीनों प्रमुख नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ा। मंत्रियों को आशा थी कि नागपुर के शीतकालीन सत्र के दौरान उनके विभाग का बंटवारा हो जाएगा, लेकिन यह सत्र समाप्त होने तक विभागों का बंटवारा नहीं हुआ। सत्र में मंत्रियों को विभाग न मिलने के कारण वे आलोचनाओं का सामना कर रहे थे।
दिल्ली दरबार के सिग्नल के बाद विभागों का बंटवारा
कई विधायकों को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया, जिसके बाद उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। यह नाराजगी विशेष रूप से नागपुर में स्पष्ट रूप से देखी गई। शपथविधि के तुरंत बाद विधानसभा सत्र था और कई नए मंत्री अपनी उम्मीदों के अनुसार अब तक विभाग न मिलने से नाराज भी थे। मंत्रालयों के वितरण का मामला भाजपा के दिल्ली दरबार में गया है। जहां से अनुमति मिलने के बाद घोषित किया गया।