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`खाने को दाने नहीं, अम्मा चली भुनाने’ …आकंठ तक डूबी सरकार का अब रिक्शा वालों को लॉलीपॉप!

वयोवृद्ध चालकों रु. १० हजार अनुदान झुनझुना

सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदी की कहावत, `खाने को दाने नहीं, अम्मा चली भुनाने’ राज्य सरकार पर बिल्कुल फिट बैठ रही है। लाडली बहन योजना के चलते आर्थिक संकट से जूझ रही या कहें आकंठ तक कर्ज में डूबी महाराष्ट्र सरकार ने अब रिक्शाचालकों को लॉलीपॉप देने की घोषणा की है। सरकार ने राज्य में ६५ साल से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ रिक्शाचालक, जिनकी पंजीकरण तिथि पांच वर्ष पहले की है। उन्हें १० हजार रुपए का झुनझुना सहायता राशि दी जाएगी। इसे अनुदान या पुरस्कार दोनों कह सकते हैं। यह राशि साल में केवल एक बार देंगे। आज की स्थिति में राज्य में १४,३८७ रिक्शा चालक ६५ वर्ष से अधिक उम्र के हैं। इस साल हम उन्हें १० रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। यह घोषणा परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने मुंबई में आयोजित आनंद दिघे महामंडल की बैठक में की।
प्रताप सरनाईक ने कहा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आनंद दिघे के नाम पर मंडल की स्थापना की तो यह निर्णय लिया गया कि २७ जनवरी को इस महामंडल का स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस महामंडल के लिए ५० करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
इस मंडल का नाम `धर्मवीर आनंद दिघे साहेब महाराष्ट्र ऑटो-रिक्शा मीटर्स टैक्सी चालक कल्याणकारी महामंडल’ होगा। मंडल के लोगो के नाम का प्रकाशन मार्च माह में किया जाएगा, क्योंकि परिवहन दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा।
प्रताप सरनाईक ने आगे बताया कि आगामी एक मार्च से शुरू होने वाले इस मंडल का मुख्य कार्यालय ठाणे में धर्मवीर आनंद दिघे के नाम से स्थापित किया जाएगा। राज्य में एक लाख से अधिक रिक्शाचालकों को इस योजना का लाभ मिलेगा। रिक्शाचालकों के लिए अलग से एक बैंक स्थापित करने की योजना है। इस बैंक के अधिकार जिलाधिकारियों को सौंपे जाएंगे, जिससे हर जिले में इसका लाभ मिल सके। मंडल की सदस्यता के लिए ५०० रुपए शुल्क जमा करना होगा। वार्षिक सदस्यता शुल्क ३०० रुपए रखा गया है।

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