मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
भारत-नेपाल सीमा से सटे श्रावस्ती में कबाड़ी नूरी बाबा को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं। नूरी बाबा रमजान महीने में मुंबई में रहकर चंदा वसूल करता था। आस-पास के लोगों को अंधकार में रख कर बहाने से अक्सर पश्चिम बंगाल तो कभी नेपाल जाता था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसका पाकिस्तान प्रेम भी पकड़ा गया है। ऐसे में खुफिया एजेंसियों के माथे पर पसीने आ रहे हैं कि कहीं उसके तार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से तो नहीं जुड़े हैं। बता दें कि मल्हीपुर थाना क्षेत्र के लक्ष्मनपुर गंगापुर का है।
यहां का निवासी मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा शाह जाति से सांई था। इस कारण उसे बाबा की उपाधि मिली। कबाड़ी से शुरू हुआ उसका सफर नकली नोटों के व्यापारी तक पहुंच गया। इस बीच वह मौसम के अनुसार अपना हाल व हुलिया बदलता रहा। नूरी कभी फकीर बनकर जकात मांगता, तो कभी रमजान महीने में मुंबई जाकर मस्जिद व मदरसा निर्माण के नाम पर चंदा वसूलता। नेपाल तो कभी पश्चिम बंगाल में जाकर तकरीर करता। लोगों को खुद से जोड़ने के लिए कट्टर मुसलमान होने का प्रमाण भी देता। उसके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर सात अक्टूबर 2017 की पोस्ट उसके पाकिस्तान प्रेम को भी उजागर कर रही है।
इसमें पाकिस्तानी झंडे के साथ उसने अपनी फोटो पोस्ट की थी, जो आज भी उसके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। फिलहाल, पुलिस मामले में बड़ी ही खामोशी से जांच कर रही है। साथ ही उससे जुड़े लोगों व उसके नेटवर्क के तार कहां तक जुड़े हैं, उसकी कड़ी जोड़कर जांच को आगे बढ़ा रही है। नूरी बाबा के काले कारनामे उजागर न हों, इसके लिए उसने गांव के ही पांच भाइयों से उनके हिस्से की जमीन लेकर आठ वर्ष पूर्व मदरसा खोला। इसकी आड़ में वह गलत काम करने लगा। यद मदरसा उसे और उसके काले कारनामों से बचाने का माध्यम बना। इसी मदरसे की आड़ में वह झाड़फूंक, दवाखाना चलाने के साथ ही अय्याशी का अड्डा व नकली नोटों का कारोबार चलाने लगा। गांव एवं क्षेत्र में अपने मृदुभाषी व सामान्य व्यवहार के कारण ही वह अब तक किसी की नजर में नहीं आ रहा था।