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तटस्थ नहीं रहा चुनाव आयोग!… संजय राऊत का करारा प्रहार

सामना संवाददाता / मुंबई

चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी का ‘चूना लगाओ’ आयोग हो गया है। यह भाजपा की विस्तारित शाखा है। टीएन शेषन के समय का तटस्थ और निष्पक्ष चुनाव आयोग अब नहीं रह गया है। बीते साल में इसका निजीकरण हो गया है। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया। रविवार सुबह वे मीडिया से बात कर रहे थे।
लोकसभा चुनाव के मुहाने पर चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे पर मीडिया के सवाल पूछे जाने पर संजय राऊत ने कहा कि मौजूदा शासन में बिना कारण और भाजपा के लाभ के कुछ नहीं होता है। अरुण गोयल को सभी नियम, कानून और संविधान को दरकिनार करके चुनाव आयुक्त बनाया गया था। प्रशांत भूषण ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। गोयल की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाया था। तब सरकार ने कोई भी रुख नहीं अपनाया था। अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है यानी कुछ तय करके गड़बड़ी करने की कोशिश शुरू है।

मोदी-शाह की है कोई चाल
अरुण गोयल के जल्दबाजी में दिए गए इस्तीफे के पीछे भी मोदी-शाह की कोई चाल होगी, क्योंकि उन्होंने नैतिकता के मुद्दे पर इस्तीफा नहीं दिया है। उनकी नियुक्ति अनैतिक थी। क्या अनैतिक रूप से नियुक्त व्यक्ति नैतिक कारणों से इस्तीफा दे देगा? जिन लोगों ने उन्हें काम पर रखा था, उन्होंने ही उन्हें हटा दिया। संजय राऊत ने यह भी कहा कि उस स्थान पर भाजपा से किसी अन्य उपयोगी व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा।

भाजपा से फिसलता जा रहा महाराष्ट्र
संजय राऊत ने महाराष्ट्र में सीट बंटवारे के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और उसके दो डंपरों के हाथ से महाराष्ट्र फिसलता जा रहा है। इसीलिए मोदी को महाराष्ट्र से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। घाती-भाजपा का कहना है कि अगर मोदी महाराष्ट्र से चुनाव लड़ते हैं, तो उन्हें कम से कम चार-पांच सीटें मिलेंगी। ज्यादातर लोगों का मानना है कि मोदी इस ऑफर को स्वीकार कर लेंगे। मोदी के मन में नितिन गडकरी का टिकट काटकर नागपुर अथवा पुणे से लड़ने का विचार है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस तीनों पार्टियां मिलकर ४० से अधिक सीटें जीत रही हैं। अगर इन्हें रोकना है तो मोदी को महाराष्ट्र से चुनाव लड़ना होगा,यह भाजपा का मानना है। संजय राऊत ने कहा कि यह उनका डर और निराशा है।

चुनाव आयोग है या नहीं देश को नहीं पड़ता कोई फर्क
संजय राऊत ने कहा कि चुनाव आयोग तीन लोगों का होता है। अब केवल राजीव कुमार बचे हुए हैं और एक ने इस्तीफा दे दिया, जबकि दूसरे निवृत्त हो गए हैं। अब रिक्त हुए दो स्थानों पर जैसे राज्यपाल की नियुक्ति की जाती है, वैसे ही भाजपा की तरफ से किसी कार्यकर्ता को नियुक्त किया जाएगा। क्योंकि चुनाव आयोग भाजपा के वरिष्ठों के आदेशानुसार ही काम करता है। ये शिवसेना, राकांपा को लेकर चुनाव आयोग द्वारा दिए गए पैâसलों से स्पष्ट होता है। संजय राऊत ने कहा कि भले ही दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया गया, १०वीं अनुसूची को तोड़ा-मरोड़ा गया, फिर भी चुनाव आयोग ने भाजपा के दबाव में धृतराष्ट्र की तरह अपनी आंखें बंद कर ली हैं। इसलिए चुनाव आयोग है या नहीं, इससे देश को कोई फर्क नहीं पड़ता।

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