मुख्यपृष्ठनए समाचारअब सरकार से मत मांगो ...किसको लाना है यह तय करो! ...नाना...

अब सरकार से मत मांगो …किसको लाना है यह तय करो! …नाना पाटेकर का दमदार मत

सामना संवाददाता / मुंबई
सोने का दाम बढ़ा है तो हमारे गेहूं और चावल का दाम क्यों नहीं बढ़ रहा है? कृषि को उचित दाम मिलना ही चाहिए। लेकिन सब कुछ सरकार से मांगकर भी नहीं मिलता, इसलिए अब सरकार से न मांगें। किसकी सरकार लानी है, यह तय करें, ऐसा दमदार मत फिल्म अभिनेता और नाम फाउंडेशन के प्रमुख नाना पाटेकर ने देश में चल रहे किसान आंदोलन को ध्यान में रखकर व्यक्त किया है। कृषि अर्थ प्रबोधिनी, तालुका दिंडोरी में आयोजित ११ वें अखिल भारतीय मराठी शेतकरी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन पर नाना पाटेकर ने कहा कि हम केवल नाम के लिए स्वतंत्र हुए हैं। किसान की गुलामी समाप्त होने को तैयार नहीं है। उस गुलामी के खिलाफ लिखो। किसान कभी किसी को फंसाता नहीं। उन्हें जानवरों की भाषा समझ आती है, लेकिन सरकार किसानों की भाषा नहीं समझती। आपको उनके खिलाफ लिखने में सक्षम होना चाहिए। अपना दर्द मत में व्यक्त करो। आपके रगों में बहते दर्द पूरी तरह से खोल दो, ऐसा आह्वान नाना पाटेकर ने उपस्थित साहित्यकारों से किया। ‘मैं राजनीति में आया तो मेरे पेट में जो कुछ है वह बाहर आ जाएगा और मुझे पार्टी से निकाल दिया जाएगा।’ अगर हम अलग-अलग पार्टियां बदलते रहेंगे तो एक महीने के अंदर सारी पार्टियां खत्म हो जाएंगी। लेकिन यहां हम अपने साथी किसानों के सामने दिल की बात कर सकते हैं। जो लोग हमें रोज खाना देते हैं उनकी अगर किसी को परवाह नहीं है तो हम किसी की परवाह क्यों करें? ऐसा सवाल नाना पाटेकर ने सत्ताधारियों से किया।

‘हम किस पर उम्मीद रखकर जीवन जिएं ? जो किसान हमें रोज खाना देता है, अगर आप उसकी कद्र नहीं करते तो हम आपकी कद्र क्यों करें!’

अन्य समाचार