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अब तो स्वास्थ्य मंत्री ने भी माना  राज्य में है टीबी की दवाओं की किल्लत! …मंत्री के कबूलनामे से बढ़ा टीबी मरीजों का टेंशन 

टीबी मुक्त कैसे होगा प्रदेश, उठ रहे सवाल 

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
केंद्रीय स्तर पर जहां महाराष्ट्र समेत पूरे हिंदुस्थान को साल २०२५ तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, वहीं महाराष्ट्र सरकार के शासन में प्रदेश को इस रोग से मुक्ति मिलने के कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसे लेकर शिंदे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने विपक्ष के लिखित सवालों का जवाब देते हुए कबूल किया है कि प्रदेश में टीबी दवाओं की किल्लत है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिरकार यह सरकार प्रदेश को टीबी मुक्त कैसे करेगी।
शिवसेना ने स्वास्थ्य मंत्री से मांगा जवाब
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)  पक्ष के विधायक सुनील शिंदे समेत कई सदस्यों ने मानसून अधिवेशन में लिखित सवालपूछे, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से जवाब मांगा था कि राज्य को टीबी मुक्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कई उपक्रम चल रहे हैं। इसी में राज्य में टीबी दवाओं की किल्लत पैदा हो गई है। यह भी जानकारी सामने आई है कि इस साल अप्रैल व उसके आसपास दवा निर्माता कंपनी को ३ एफडीसीए संयोजन दवा के निर्माण और वितरण में लगभग तीन महीने लगेंगे। उन्होंने यह भी सवाल किया है कि ये बातें सही हैं तो क्या यह सच है कि केंद्रीय स्तर पर दवाओं की खरीद में देरी के कारण कमी पैदा हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदने का निर्देश दिया है। राज्य में कई रोगियों में एमडीआर टीबी की दर बढ़ रही है। ऐसे में दवा की कमी के कारण मुंबई सहित राज्य में दो लाख से अधिक रोगी और मुंबई में हर महीने ५,००० नए रोगियों का पता चल रहा है। साथ ही पहले से इलाज करा रहे रोगियों को असुविधा होगी। इससे देश को वर्ष २०२५ तक क्षय रोग से मुक्त करने के लक्ष्य में बाधाएं पैदा हो गई हैं। इस संबंध में शासन द्वारा टीबी रोगियों को आवश्यक औषधियों की आपूर्ति नियमित करने के लिए निधि उपलब्ध कराते हुए दवाओं को तत्काल खरीदने को लेकर क्या कार्यवाही की गई है अथवा की जा रही है।
केंद्र ने दिया है दवा खरीदने का अधिकार
इन सवालों का लिखित जवाब देते हुए मंत्री डॉ. तनाजी सावंत ने कहा है कि मई में केंद्रीय टीबी विभाग की तरफ से ३ एफडीसीए दवाओं की आपूर्ति शुरू हुई है। उन्होंने कहा है कि इसके साथ ही केंद्रीय टीबी विभाग ने सभी राज्य सरकारों को प्रदेश और जिला स्तर पर तीन महीने अथवा केंद्र स्तर पर खरीद प्रक्रिया पूरी होने तक दवा खरीदने का निर्देश दिया है। वहीं सावंत ने दावा किया है कि राज्य स्तर पर किए गए उपायों के कारण टीबी रोगियों के इलाज में कोई विशेष रुकावट नहीं आई है।

 

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