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अब आरबीआई ने भी माना :  मोदी राज में देश पर बढ़ा कर्ज का बोझ!

३९.७ अरब डॉलर का बढ़ा विदेशी ऋण
सामना संवाददाता / मुंबई
मोदी सरकार के राज में देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। अब यह बात खुद आरबीआई ने भी मानी है। खासकर पिछले एक साल में हिंदुस्थान का विदेशी कर्ज काफी बढ़ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह आंकड़ा मार्च, २०२४ के अंत तक ३९.७ अरब डॉलर बढ़कर कुल ६६३.८ अरब डॉलर हो गया है। यह कर्जा अब देश के विदेशी मुद्रा भंडार से भी ज्यादा हो गया है।
गौरतलब है कि हिंदुस्थान का विदेशी मुद्रा भंडार १४ जून को समाप्त सप्ताह में २.९२ अरब डॉलर घटकर ६५२.८९ अरब डॉलर था, जबकि विदेशी कर्जा बढ़कर ६६३.८ अरब डॉलर हो चुका है। यह विदेशी मुद्रा भंडार के मुकाबले करीब १०.९१ अरब डॉलर ज्यादा है। अगर मूल्यांकन प्रभाव को छोड़ दिया जाए, तो विदेशी कर्ज ३९.७ बिलियन डॉलर के बजाय ४८.४ बिलियन डॉलर बढ़ गया होगा। हालांकि, इस बढ़त के बावजूद देश की जीडीपी में विदेशी कर्ज की हिस्सेदारी घटकर १८.७ फीसदी रह गई है। मार्च, २०२३ के अंत तक यह आंकड़ा करीब १९ फीसदी था। इस अनुपात में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं। केंद्रीय बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, सरकार का बाह्य ऋण जीडीपी का ४.२ प्रतिशत था, जबकि गैर-सरकारी क्षेत्र का बाह्य ऋण १४.५ प्रतिशत था। आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि ‘अमेरिकी डॉलर में लिया गया कर्ज देश के कुल विदेशी कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा है, मार्च २०२४ के अंत में इसकी हिस्सेदारी ५३.८ फीसदी थी। इसके बाद भारतीय रुपए (३१.५ फीसदी), येन (५.८ फीसदी), एसडीआर (५.४ फीसदी) और यूरो (२.८ फीसदी) का स्थान आता है।’ इसके अलावा, कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा लोन का है, जिसकी हिस्सेदारी ३३.४ फीसदी है। इसके बाद मुद्रा और जमा (२३.३ फीसदी), व्यापारिक ऋण और अग्रिम (१७.९ फीसदी) और ऋण पत्र (१७.३ फीसदी) का स्थान आता है।

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