सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले कुछ दिनों से राज्य में महायुति सरकार के तमाम घोटाले उजागर हो रहे हैं। इसी क्रम में १० साल पहले के घोटाले का जिन्न भी बाहर निकला है। बीड जिले में २०१४ में जिला परिषद शिक्षक अंतर जिला तबादले के दौरान तत्कालीन मंत्री सुरेश धस, जिला परिषद अध्यक्ष सय्यद अब्दुल्ला, जिला परिषद शिक्षा सभापति संदीप क्षीरसागर पर करीब ३९ करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। इस मामले में पंकजा मुंडे और सुरेश धस का नाम भी शक के घेरे में है। यह आरोप ओबीसी नेता बालासाहेब सानप ने अब १० साल बाद एक प्रेस कॉन्प्रâेंस के दौरान लगाया है।
बालासाहेब सानप ने कहा कि वर्ष २०१४ में जब अंतर जिला तबादले शुरू थे, उस समय सभी शिक्षकों ने मांग की थी कि हमें बीड जिले में वापस आना है। उस समय राज्य के मंत्री सुरेश धस थे। जिला परिषद अध्यक्ष सय्यद अब्दुल्ला और संदीप क्षीरसागर उस समय जिला परिषद के शिक्षा सभापति थे। उसी समय यह सारी भर्ती हुई थी।
हर शिक्षक से वसूले थे तीन लाख रुपए!
बीड में भी एक शिक्षक घोटाला सामने आया है। यह शिक्षक घोटाला करीब ३९ करोड़ रुपए का बताया जा रहा है। १० साल पहले १,३०० शिक्षकों में से प्रत्येक से तीन लाख रुपए लिए गए थे। यह रकम करीब ३९ करोड़ रुपए होती है। यह घोटाला २०१४ में हुआ, ऐसा आरोप उन्होंने लगाया है। इस मामले में पंकजा मुंडे का नाम भी घसीटा जा रहा है। हालांकि, धस ने खुद इस मामले में पंकजा का कोई रोल नहीं होने की बात स्वीकार की है।
सानप ने धस पर जातिगत द्वेष पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि २०१४ से २०२४ तक बिंदू नामावली का मुद्दा कहीं नहीं उठा, लेकिन अब विधायक सुरेश धस इस मुद्दे को उठाकर जातियों के बीच तनाव पैदा कर रहे हैं। एक समाज को निशाना बनाने का काम कर रहे हैं।
सीएम को किया गुमराह
धस ने राज्य के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों को भी गुमराह किया है इसलिए हम मंगलवार को शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से भी मुलाकात करने वाले हैं और इस मामले की जांच की मांग करेंगे।