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अब एलईडी, होर्डिंग्स लगाकर अपनी जेब भरेगी सरकार! …स्कूलों, अस्पतालों और सड़कों की बदहाली पर नहीं है ध्यान

 

 

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सरकारी परिसरों में २०० एलईडी होर्डिंग्स लगाने के लिए १०० करोड़ रुपए खर्च करने का पैâसला किया है। इस योजना से सरकार को हर साल २५-३० करोड़ रुपए की कमाई होने की उम्मीद है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह पैसा जनता की बुनियादी जरूरतों पर खर्च नहीं किया जा सकता था? राज्य में सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और बुनियादी ढांचे की हालत खराब है, लेकिन सरकार की प्राथमिकता विज्ञापन से पैसे कमाना है।
सरकार की इस योजना के तहत ८५ फीसदी स्क्रीन टाइम विज्ञापनदाताओं को दिया जाएगा, जबकि खुद सरकार को सिर्फ १५ फीसदी मुफ्त मिलेगा यानी अपने ही परिसरों में विज्ञापन के लिए सरकार निजी कंपनियों पर निर्भर होगी। सवाल यह है कि क्या सरकारी धन का यह सही उपयोग है या सिर्फ बड़ी कंपनियों का फायदा पहुंचाने की कोशिश? विपक्ष और नागरिक संगठनों का कहना है कि अगर यही १०० करोड़ रुपए स्वास्थ्य, शिक्षा या बुनियादी सुविधाओं पर खर्च होते तो इसका सीधा लाभ जनता को मिलता।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को राजस्व कमाने के नए तरीके तलाशने का अधिकार है, लेकिन जब राज्य के अस्पतालों में दवाओं की कमी हो। स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं न हों और सड़कें गड्ढों से भरी हो, तब एलईडी होडिंग्स पर इतना बड़ा खर्च कितना उचित है?

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