– देश भर में ६२.३६ मिलियन रोगी
-९० फीसदी ने रोबोटिक तकनीक से कराई है घुटने की सर्जरी
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई समेत पूरे हिंदुस्थान में पिछले कुछ सालों से गठिया आम रोग बन गया है। चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी के देश में करीब ६२.३६ मिलियन रोगी हैं, जिसमें से ९० फीसदी ने रोबोटिक तकनीक से घुटने की सर्जरी कराई है। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों की जीवनशैली और खानपान में बहुत ज्यादा बदलाव आया है। गतिहीन जीवनशैली, नियमित व्यायाम का अभाव, मोटापा, गठिया और चोट के कारण भारी संख्या में लोग जोडों की समस्या से जूझ रहे हैं। आलम यह है कि गठिया रोग हिंदुस्थान में सबसे आम बन गया है, जिसकी व्यापकता २२ से ३९ फीसदी हो गई है। यह देश में दूसरी सबसे आम रूमेटोलॉजिकल समस्या भी है। इस समस्या के कारण कई लोग अपनी दैंनिक गतिविधियां आसानी से नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिती में मरीज को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा डॉक्टरों का यह भी कहना है कि मोटापा बायोमैकेनिक्स और जोड़ों की अलाइनमेंट को बदल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य लोडिंग पैटर्न हो सकता है। इसके साथ ही जोड़ों को सहारा देने वाले लिगामेंट्स और टेंडन के कमजोर होने के कारण मोटापा जोड़ों की स्थिरता को और भी खतरे में डाल देता है। इस वजह से जोड़ों की डिजनरेटिव प्रोसेस तेज हो सकती है और उनके डैमेज होने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
सटीकता प्रदान करती है यह सर्जरी
रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जनों के मुताबिक देश में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में रोसा रोबोटिक तकनीक असाधारण सटीकता, सुरक्षा और सटीकता प्रदान करती है। मरीजों को ऑपरेशन के बाद होने वाला दर्द कम होता है। इतना ही नहीं अस्पताल में भी कम समय तक रहना पड़ता है और रिकवरी का समय भी कम होता है। साथ ही जटिलताओं का जोखिम भी कम होता है।
गठिया में जरूरी है वेट लॉस
चिकित्सकों के मुताबिक ऐसे में वजन कम करने से वजन सहने वाले जोड़ों पर दबाव कम हो सकता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा और इंटेंसिटी कम हो सकती है। गंभीर गठिया में, जब सभी पारंपरिक इलाज जैसे दवा, जीवनशैली में बदलाव आदि, मरीजों को लंबे समय तक राहत नहीं देते हैं, तो घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी आवश्यक हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में, रोबोटिक आर्म-असिस्टेड तकनीक जैसी तकनीकों ने दुनिया भर में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को बदल दिया है।