– राज्य में उद्धव ठाकरे को नहीं दे पाए टक्कर
-जनता पूरी तरह से ठाकरे के साथ
सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना को तोड़ने में घाती भले ही सफल हो गए, लेकिन शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे को राजनीतिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचा पाए। यह बात लोकसभा चुनाव के बाद जारी हुए एग्जिट पोल में भी साफ दिख रही है। एग्जिट पोल में शिवसेना को मिली बढ़त को देख महाराष्ट्र में भाजपा का टेंशन बढ़ गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने शिवसेना का साथ छोड़ दिया और शिवसेना को तोड़ने का काम किया, लेकिन फिर भी वह उद्धव ठाकरे का बहुत नुकसान नहीं कर पाई। ऐसा एग्जिट पोल का अनुमान है। शिवसेना से ढाई साल पहले एकनाथ शिंदे ने भी गद्दारी कर दी, उन्होंने चेतावनी दी थी कि वे राज्य में शिवसेना की सरकार गिराकर ठाकरे परिवार का राजनीतिक अस्तित्व खतरे में डाल देंगे। लेकिन इस लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल को देखकर ऐसा लग रहा है कि न तो शिंदे और न ही भाजपा दोनों उद्धव ठाकरे को नुकसान नहीं पहुंचा पाए, बल्कि दोगुनी ताकत से शिवसेना उभरी है।
एग्जिट पोल ने बढ़ाई भाजपा की टेंशन
भले ही शिवसेना नाम और चिह्न एकनाथ शिंदे ने हड़प लिया, लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े बताते हैं कि जनता ठाकरे परिवार के साथ है। एग्जिट पोल के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को २० सीटें मिलती दिख रही हैं।
गद्दार शिंदे ने उद्धव ठाकरे के विधायकों को तोड़कर सरकार गिराई, सांसदों को तोड़ लिया। दावा किए जा रहे थे कि भविष्य में शिंदे शिवसेना को और नुकसान पहुंचाएंगे, लेकिन तस्वीर यही दिख रही है कि उद्धव ठाकरे फिर से जोरदार वापसी करते दिख रहे हैं। मौजूदा राजनीतिक हालात के चलते उद्धव ठाकरे का दोबारा राजनीति में मजबूती से आना बेहद जरूरी है। शिंदे और अजीत पवार के भरोसे महाराष्ट्र जीतने की भाजपा की कोशिश पूरी तरह से फेल होती नजर आ रही है। बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी भाजपा को काफी नुकसान होता दिख रहा है।
भले ही शिवसेना का नाम और चिह्न शिंदे के नियंत्रण में है, लेकिन शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की तुलना में वोट मार्जिन केवल ३.५ प्रतिशत है। अजीत पवार को ४ फीसदी और शरद पवार को दोगुने वोट मिल रहे हैं। इससे तो यही लगता है कि भाजपा इन दोनों दलों को तोड़ने के बाद भी फिलहाल इन्हें खत्म करने में नाकाम रही है।