सामना संवाददाता / मुंबई
जिला परिषद प्रशासन के एक अधिकारी ने शिंदे गुट के पालक मंत्री रवींद्र चव्हाण को हर महीने १० करोड़ रुपए देने का खुला ऑफर दिया था। रवींद्र चव्हाण ने कहा कि पालक मंत्री का पद संभालने के बाद उन्होंने उस अधिकारी का तबादला कर दिया और उसकी दुकान बंद कर दी। इसके पहले के पालक मंत्रियों ने इस भ्रष्ट अधिकारी की दुकान जारी रखी थी। यह सनसनीखेज खुलासा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक वैभव नाईक ने किया।
वहीं, रवींद्र चव्हाण ने परोक्ष रूप से पूर्व पालक मंत्री पर उनके कार्यकाल के दौरान करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। इसलिए अब रवींद्र चव्हाण ने भ्रष्टाचार की गेंद तत्कालीन पालक मंत्री के पाले में फेंक दी है। रवींद्र चव्हाण के कार्यकाल के दौरान राजकोट में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति में हुए भ्रष्टाचार और नौसेना दिवस के अवसर पर जिला योजना से खर्च किए गए धन के बारे में क्या कहना है? यह सवाल विधायक वैभव नाईक ने पूछा है।अधिकारी को निलंबित क्यों नहीं किया गया? नाईक ने कहा कि अगर कोई अधिकारी संवैधानिक पद पर बैठे चव्हाण को रिश्वत का ऑफर दे रहा है।