सामना संवाददाता / नई दिल्ली
गृह मंत्री अमित शाह ने मतदान खत्म होने के बाद देशभर के १५० जिलाधिकारियों को फोन करके उन्हें धमकी दी है। इस तरह का सनसनीखेज आरोप कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लगाया है। रमेश ने ‘एक्स’ पर इस बारे में लिखा कि अफसरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए। वे निगरानी में हैं।’ इस बारे में चुनाव आयोग का कहना है कि वरिष्ठ नेता होने के नाते रमेश ने यह सार्वजनिक बयान उन तथ्यों के आधार पर दिया होगा, जिन्हें वे सही मानते हैं।
चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को लिखे गए पत्र में कहा है, ‘इस संबंध में यह ध्यान देने योग्य है कि आदर्श आचार संहिता के लागू होने की अवधि में सभी अधिकारी आयोग की प्रतिनियुक्ति पर माने जाते हैं और वे किसी भी निर्देश के लिए सीधे आयोग को रिपोर्ट करते हैं। हालांकि, किसी भी डीएम ने आपके द्वारा लगाए गए किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है। जैसा कि आप जानते हैं, वोटों की गिनती की प्रक्रिया प्रत्येक आरओ को सौंपा गया एक पवित्र कर्तव्य है और आपके द्वारा दिए गए ऐसे सार्वजनिक बयान संदेह पैदा करते हैं इसलिए व्यापक जनहित में इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। चुनाव आयोग ने कहा है कि, ‘इसलिए एक राष्ट्रीय पार्टी के जिम्मेदार, अनुभवी और बहुत वरिष्ठ नेता होने के नाते आपको मतगणना के दिन से ठीक पहले तथ्यों/सूचनाओं के आधार पर ऐसा सार्वजनिक बयान देना चाहिए जिसे आप सच मानते हैं। अनुरोध है कि उन १५० डीएम का ब्योरा, जिन्हें गृह मंत्री की ओर से कथित रूप से इस तरह के कॉल किए गए हैं, आपके द्वारा दी गई जानकारी के तथ्यात्मक मैट्रिक्स / आधार के साथ साझा करें, ताकि समुचित कार्रवाई की जा सके।’
एग्जिट पोल में भाजपा की जीत के अनुमानों के बाद एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि, ‘हिंदुस्थान के गृह मंत्री किसी जिला अधिकारी या उपखंड अधिकारी को फोन नहीं करते। गृह मंत्री राज्य के मुख्यमंत्री से बात करते हैं।’