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ओ बाबूजी…वित्त मंत्री के वादे … कभी नरम, कभी गरम! …फिर से पकड़ाया झुनझुना

लोगों की ठंडी प्रतिक्रिया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्तीय वर्ष २०२४-२५ का अंतरिम बजट पेश कर दिया है। इसमें पीएम आवास योजना पर बड़ा एलान हुआ है, लेकिन टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं है। जबकि महंगाई से जूझ रहे नौकरीपेशा वर्ग को टैक्स कटौती और ब्याज दरों में वृद्धि से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। हां, यह जरूर हुआ कि एलपीजी सिलिंडर के दाम बढ़ गए। साथ ही जीएसटी को लेकर व्यापारियों को भी कोई राहत नहीं दी गई है। बजट को लेकर आम जनता, महिलाओं और उद्योगपतियों ने निराशाजनक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री ने केवल घोषाणाओें का झुनझुना थमाया है।

बजट स्वास्थ्य के हित में नहीं
इस साल का बजट स्वास्थ्य के हित में नहीं दिखाई दे रहा है। इसमें थोड़ी सी राहत यह है कि चिकित्सा पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर किया जा सकता है।
डॉ. संगीता रेड्डी, ज्वाइंट डायरेक्टर, अपोलो अस्पताल

मेडिकल कॉलेज की स्थापना जरूरी 
बजट २०२४ में गर्भाशय ग्रीवा के स्वास्थ्य पर जोर, महिलाओं की भलाई को प्राथमिकता देने और जीवित रहने की दर में सुधार करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सर्वाइकल वैंâसर के लिए टीकाकरण बढ़ाने का निर्णय एक बहुत ही उचित कदम है, जिसके कारण न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
 रेनी वर्गीस, सीईओ और यूनिट प्रमुख, झायनोव्हा शाल्बी अस्पताल

केवल विशेष तबके का ध्यान 
सरकार ने इस बजट से सिर्फ जनता को चूना लगाया है। सुविधाएं आम जनता को देने का वादा हर बार की तरह इस बार भी खोखला ही साबित हुआ है। हाउसिंग सेक्टर हो या सिक्योरिटीज का सेक्टर हो यहां सरकार की ओर से विशेष तबके को छोड़कर बाकियों का खयाल नहीं रखा गया है।
 विकास अहिरे, व्यापारी

सिर्फ कागजों पर है बजट 
देश में सबसे बड़ा लेबर वर्ग है। लेबर वर्ग के लिए किसी प्रकार की विशेष योजना नहीं है। बजट मजदूर वर्ग के लिए कोई सहूलियत लेकर नहीं आया है। इसे आम जनता का बजट नहीं माना जा सकता है। आम जनता के लिए कोई योजना अथवा फंड निर्धारित नहीं किया गया है। बजट सिर्फ कागजों पर ही रहा है।
रमेश पांडे, सामाजिक कार्यकर्ता

शिक्षा के लिए कुछ खास नहीं
इस वर्ष का बजट उदासीन है। बजट में सामान्य नागरिक और उद्योगपतियों को जोड़कर बेहतर नीतियों का सामंजस्य बनाया जाना चाहिए, जो धरातल पर रोजगार और विकास के लिए कारगर हो। बजट में शिक्षक, विद्यालय और कोचिंग क्लासेस को लेकर भी काफी उदासीनता है। शिक्षण संस्थानों को काफी छूट देनी चाहिए।
विनय कुमार सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता

टीएमटी क्षेत्र के लिए घोषणा नहीं
इस्पात उद्योग (टीएमटी) क्षेत्र से संबंधित कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। हालांकि, किफायती आवास पर पहल का टीएमटी पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, बेसिक की उन्नति और गति शक्ति के हिस्से के रूप में रेलवे कॉरिडोर कार्यक्रम के कार्यान्वयन के साथ ११,११,१११ करोड़ रुपए का आवंटन, इन पहलों से जुड़े निर्माण उपकरणों की मांग के कारण संभावित रूप से स्टील सेक्टरों के लिए संभावनाएं पैदा कर सकता है।
बृज भूषण अग्रवाल, वॉइस चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, श्याम मेटालिक्स

भाजपा का चुनावी मेनिफेस्टो
– विश्वास उटगी (अर्थशास्त्री)
यह अंतरिम बजट ‘वोट ऑफ अकाउंट’ है, जिसमें उन्होंने यह बताया कि वह किस मद पर कितना खर्च करेंगे! लेकिन मजेदार बात यह है कि उसमें आंकड़े कहीं हैं ही नहीं! अगर सीधे सरल शब्दों में कहा जाए तो यह भाजपा का मेनिफेस्टो है, चुनावी मेनिफेस्टो है २०२४ के लिए। योजनाएं हैं हम क्या करेंगे, हम यह करेंगे हम वह करेंगे। और उसमें जो होने की गारंटी है उस गारंटी के लिए पैसे ऑलरेडी सैंक्शन हो चुके हैं। उनमें तो हेरा फेरी हो चुकी है अब और जो पैसा आएगा वह भी हेरा फेरी में ही जाएगा। जो हेरा-फेरी हुई है उसके बारे में किसको क्या पता? सब किसानों को कहां पैसा मिलता है? जब यूपी का इलेक्शन आएगा तो वहां के किसानों को मिलेगा, एमपी का इलेक्शन आएगा तो एमपी के किसानों को मिलेगा। वह भी सिर्फ एलिजिबल लोगों को! योग्य लोगों को भी कौन निश्चित करेगा कि कौन इसके लिए योग्य है या नहीं। आप और मैं निश्चित नहीं करते, यह सरकार निश्चित करती है जनधन अकाउंट के लिए। जनधन अकाउंट में से १० करोड़ बंद होते हैं ४५ करोड़ में से, इसके बारे में लोगों को क्या मालूम है। कौन से अकाउंट बंद हैं? कौन से अकाउंट चालू हैं? किसके अकाउंट में कितने पैसे हैं? इसकी जानकारी किसको है? किसको मिला, किसको नहीं मिला, यह बात किसको पता है। और वोट ऑफ अकाउंट में कितने पैसे हैं वह भी बताते नहीं।

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