ऐ जिंदगी

पूछती है जिंदगी क्यों
मुझसे तू इतने सवाल
हू बड़ा मासूम सा मैं
इतना तो तू कर ख्याल
हर कदम करता हू कोशिश
लड़खड़ाये न कदम
राहे मंजिल चलता ऐसे,
जैसे चिड़िया डाल डाल
आएगी खुशियां कभी तो
देखना तू जिंदगी
रहती है उम्मीद हरदम
पर अभी हू तंगहाल
तेरे मेरे रिश्ते को तू बोल
क्या मैं नाम दूं
ऐसे हो महसूस पूरन
थाली मे जैसे रोटी दाल।
-पूरन ठाकुर जबलपुरी
कल्याण

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