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मौत के सौदागर बन रहे हैं बिजली के पुराने तार! … प्रशासन की लापरवाही से बढ़ रहीं आग की घटनाएं

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में बिजली के तार अब जानलेवा साबित हो रहे हैं। एक साल में आग की ५,२७५ घटनाओं ने प्रशासन और मनपा की लापरवाही की पोल खोल दी है। २०२३ में यह आंकड़ा ५,०७४ था, जबकि २०२४ में इसमें २०१ घटनाओं का इजाफा हुआ। इन घटनाओं में शॉर्टसर्किट के कारण आग लगना सबसे बड़ी वजह है। इसका जिम्मेदार कौन है?
मनपा के अतिरिक्त आयुक्त अमित सैनी के मुताबिक, मुंबई में ८० फीसदी आग की घटनाएं शॉर्टसर्किट की वजह से होती है। अब सवाल यह उठता है कि इस पर काबू क्यों नहीं पाया जा रहा है? जब ये हादसे होते हैं तो फायर ब्रिगेड भी मौके पर पहुंचता है, पर तब तक काफी देर हो चुकी होती है। २०२३ में आग से ३० लोगों की मौत हो चुकी थी, जबकि ३०३ लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। २०२४ में यह संख्या बढ़कर १७६ तक पहुंच गई। ये घटनाएं सिर्फ आग तक सीमित नहीं हैं, गैस सिलिंडर फटने और वाहनों में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
मुंबई फायर ब्रिगेड के आंकड़ों के अनुसार, २०२३ में कुल १५,४३४ फोन कॉल्स प्राप्त हुए। इनमें आग, वृक्ष गिरने, पानी में डूबने, घर गिरने की घटनाएं और बचाव कार्य की कॉल्स शामिल थीं। इनमें से सबसे अधिक कॉल्स आग से संबंधित थीं। इसके अलावा, फायर ब्रिगेड ने यह भी बताया कि दिवाली के समय नवंबर महीने में आग की घटनाएं बढ़कर ६६४ तक पहुंच गई थीं, जो सामान्य दिनों में ४५० के आस-पास होती हैं।
लेकिन सवाल यह है कि क्या मुंबई मनपा ने इन घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं? क्या प्रशासन ने उन खराब बिजली के तारों की जांच की है, जो हर दिन लोगों की जान का खतरा बने हुए हैं। मनपा ने जिस गति से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की, वह नाकाफी साबित हो रही है। इमारतों में पुराने और कमजोर बिजली के तारों की स्थिति जानलेवा है। मनपा अधिकारी की मानें तो पुराने और कमजोर बिजली के तारों को बदलने की सख्त जरूरत है, लेकिन क्या इसकी कोई ठोस कार्ययोजना दिखाई दे रही है? मुंबई की घनी बस्तियों और हाईराइज इमारतों में आग की घटनाओं ने प्रशासन को जगाने की कोशिश की है। पर क्या प्रशासन वाकई जागेगा? यह सवाल डर बनकर लोगों के मन में गूंज रहा है।

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