श्रीकिशोर शाही मुंबई
एक समय था जब खाकी वर्दी देखते ही अपराधियों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती थी। अब तो हालात ही बदल गए हैं। वे पुलिस पर हमला करने से नहीं चूकते और कई मामलों में तो वे पुलिसवालों की नृशंस हत्या भी कर देते हैं। इसका सबसे ताजा उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला है, जहां बदमाशों ने एक सिपाही को चाकुओं से गोदकर मार डाला। राजधानी दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में यह नृशंस हत्या हुई। घटना के वक्त सिपाही किरणपाल पेट्रोलिंग कर रहे थे। उसी दौरान कुछ बदमाश किसी आपराधिक घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। जब सिपाही किरणपाल ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो बदमाशों ने चाकुओं से उनके ऊपर हमला कर दिया। दिल्ली पुलिस के सिपाही की हत्या से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस पर वैसे तो और भी हमले हुए हैं पर इसमें सबसे कुख्यात घटना यूपी के कानपुर स्थित बिकरू गांव की थी।
२ जुलाई २०२० की रात। बिकरू गांव की तरफ पुलिस पार्टी चुपके से बढ़ रही थी। वहां गैंगस्टर विकास दुबे के घर पर रेड डालकर उसे गिरफ्तार करना था। स्थानीय पुलिस से दुबे की सांठगांठ थी इसलिए इस ऑपरेशन को काफी गोपनीय रखा गया था। हालांकि, रास्ते में जेसीबी खड़ा कर रोड ब्लॉक करने की कोशिश की गई थी, जिससे पुलिस को कुछ शक तो हुआ था। खैर, पुलिस पार्टी गांव में दाखिल होकर विकास दुबे के घर के पास पहुंच चुकी थी। घर के मुख्य दरवाजे पर पुलिस के पहुंचते ही अचानक भीतर से एक गोली चली, धांय। पुलिस वाले चौंक गए कि उनके आने की खबर पहले वैâसे पहुंच गई। तब तक तो गोलियों की बौछार शुरू हो गई। रात के अंधेरे में वहां खून की होली खेली जाने लगी। घर के भीतर विकास दुबे का पूरा गैंग जमा हो गया था और विदेशी आधुनिक हथियारों से बदमाश गोलियां चला रहे थे। घर की छत से ताबड़तोड़ गोलियां बरसने लगीं। उस गोलीबारी में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। हत्यारों ने किसी को बाथरूम तो किसी को बीच सड़क पर गोलियों से छलनी कर दिया था। बिकरू कांड से पूरे देश में हलचल मच गई थी। इस छापेमारी की खबर पुलिस के किसी भेदिया ने विकास दुबे को पहले ही दे दी थी। जानकारी पाकर विकास दुबे ने ठान लिया था कि आज कुछ बड़ा करना है। इस पर उसने सबसे पहले बिकरू गांव की बिजली कटवाई। इसके बाद घर से थोड़ी दूर पर ही जेसीबी से रोड ब्लॉक करा दिया। इसके बाद विकास समेत उसकी गैंग के गुर्गे एके-४७, राइफल लेकर छतों पर छिपकर खड़े हो गए थे। इस घटना में तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर एसओ महेश यादव, मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार व बबलू कुमार ने अपनी जान गवां दी थी। इतनी बड़ी संख्या में पुलिसवालों की मौत से पूरा देश स्तब्ध था। उधर, घटना के बाद विकास दुबे फरार हो गया। आखिरकार, वह उज्जैन में पकड़ा गया। यूपी वापस लाते वक्त उसकी गाड़ी पलट गई थी और मुठभेड़ में वह मारा गया था।