श्रीकिशोर शाही मुंबई
गत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुंबई के एक गैंगरेप की सुनवाई के दौरान जज ने आरोपियों के वकील को फटकार लगाई। आज से ११ साल पहले मुंबई की बंद पड़ी एक मिल परिसर में एक फोटो जर्नलिस्ट के साथ गैंगरेप की यह घटना घटी थी। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि मैंने इससे अधिक क्रूर मामला नहीं देखा है। कोर्ट ने आरोपियों के वकील को फटकारते हुए कहा कि युवा लड़की के साथ ५ लोगों ने गैंगरेप किया और आप पीड़िता के साथ दोषियों के अधिकारों में संतुलन की मांग कर रहे हैं, आप ऐसा वैâसे कर सकते हैं?
आज से ११ साल पहले २२ अगस्त, २०१३ की शाम। एक ट्रेनी फोटो जर्नलिस्ट अपने पुरुष सहायक के साथ महालक्ष्मी स्टेशन के पास बंद पड़े शक्ति मिल में कुछ तस्वीरें खींचने गई थी। शाम के साढ़े छह बज रहे थे। खंडहर और जंगल में तब्दील इस मिल परिसर में सन्नाटा छाया हुआ था। यह फोटो जर्नलिस्ट एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी पत्रिका में ट्रेनी फोटोग्राफर थी। महिला अपने पुरुष साथी के साथ एक असाइनमेंट को पूरा करने के लिए शक्ति मिल परिसर गई थी। फोटोग्राफी के दौरान तीन से पांच लोग वहां पहुंचे और बताया कि यहां फोटोग्राफी करने की इजाजत नहीं है। फोटोग्राफी के लिए उन्हें संबंधित अधिकारी से पहले इजाजत लेनी होगी। महिला फोटोग्राफर अपने पुरुष साथी के साथ वहां से चल दी। जैसे ही ये लोग सुनसान इलाके में पहुंचे, आरोपियों ने पुरुष साथी को बांध दिया और लगभग ४५ मिनट तक लड़की के साथ गैंगरेप किया। इनमें से एक आरोपी नाबालिग था। घटना के बाद ये लोग किसी तरह सड़क पर पहुंचे और मदद की गुहार लगाई। पुरुष मित्र पीड़िता को अस्पताल ले गया पहले तो उसने तबीयत खराब होने की बात कहीं पर जब डॉक्टरों ने जांच की तो गैंगरेप की बात पता चली। फिर पुलिस ने केस दर्ज किया। पीड़िता की निशानदेही पर आरोपियों का स्केच बनाया गया और इस आधार पर कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। मामले की जानकरी मिलते ही पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की और मिल परिसर के आस-पास से संदिग्ध २० युवकों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था।