श्रीकिशोर शाही मुंबई
उस मां ने अपनी डेढ़ साल की बेटी का दिल चीर दिया और उसे चूल्हे पर पकाया। फिर प्रसाद के रूप में खुद खाया और वहां मौजूद तांत्रिक को भी खिलाया। ऐसा उसने इसलिए किया, ताकि घर की स्थिति सुधरती, पर घर की स्थिति सुधर पाती इससे पहले पुलिस वहां आ धमकी और गीता नामक महिला को गिरफ्तार कर लिया। गीता का दावा है कि अगर पुलिस उसे नहीं पकड़ती तो वह अगले दिन बेटी को तंत्र विद्या से जीवित कर देती। यह घटना इसी सप्ताह पलामू के खडारपर गांव में सामने आई। तांत्रिक फिलहाल फरार है और पुलिस उसकी तलाश में यहां-वहां छापेमारी कर रही है। वैसे अंधविश्वास में बलि की यह कोई पहली घटना नहीं है।
अगस्त २०२१ की दोपहर, मुंगेर। ओपी थाना क्षेत्र के परहम गांव में सन्नाटा पसरा था। तीन लोग एक रास्ते पर जा रहे थे, तभी उनकी नजर एक बच्ची पर पड़ी। बच्ची गंगा के किनारे अपने मछुआरे पिता को भोजन देकर अकेली उछलते-कूदते अपने घर की तरफ लौट रही थी। दोनों की शातिर निगाहें किसी शिकारी की तरह उसे देख रही थीं। दोनों आगे बढ़े और उस बच्ची को फुसलाया और फिर चुपके से उसका अपहरण कर लिया। कुछ किलोमीटर दूर ले गए और एक घर में छिपा दिया। फिर रात के अंधेरे में उस बच्ची की बलि चढ़ा दी गई। बच्ची की हत्या करने के बाद पुरवारी टोला फरदा स्थित र्इंट भट्टा के पास उन लोगों ने उसकी लाश को फेंक दिया। उधर बच्ची के न मिलने से परेशान बच्ची के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। बच्ची का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। वह बच्ची के गायब होनेवाले स्थान पर पहुंची और वहां से कुछ सबूत हाथ लगे। जांच के दौरान कई चौंकानेवाली बातें सामने आर्इं। पता चला कि परहम के रहने वाले दिलीप कुमार की पत्नी को बच्चा नहीं हो रहा था इसलिए वो खगड़िया के मथुरा गांव निवासी परवेज आलम नामक एक ओझा बाबा से मिला। बाबा ने जादू-टोना शुरू किया। ओझा बाबा ने पहले मछली उसके बाद मुर्गे की बलि दी और दिलीप की पत्नी गर्भवती हो गई। इसके बाद गर्भ की रक्षा के लिए ओझा ने इंसान की बलि देने को कहा। तांत्रिक ने दंपति से कहा कि गर्भवती मां को एक कुंवारी लड़की के खून और आंखों से बनी ताबीज पहनने की जरूरत है। इसके बाद दिलीप ने अपने दो दोस्तों को अपने साथ मिलाया और उस बच्ची का अपहरण कर देर रात उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने इस मामले को सुलझाते हुए बाबा सहित ४ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।