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110वें स्थापना दिवस पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय हुआ बासंतिक रंगों में सराबोर…संकायों ने निकालीं भव्य झांकियां

उमेश गुप्ता / वाराणसी

सर्वविद्या की राजधानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपने 110वें स्थापना दिवस पर वासंती रंगों में सराबोर हुई। वर्ष 1916 में वसंत पंचमी के दिन ही विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई थी। समूचा विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह की आभा में दमकता दिखाई दिया तथा विद्यार्थियों एवं विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने इस विशेष अवसर को अत्यंत उत्साह व उल्लास के साथ मनाया।
समारोह की शुरुआत स्थापना स्थल पर हवन-पूजन के साथ हुई, जिसमें प्रभारी कुलपति एवं कुलगुरू प्रो. संजय कुमार, कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुख, अधिकारीगण व कर्मचारी उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न संकायो, केंद्रों, व संस्थानों ने “प्रतीचि प्राची का मेल सुंदर–काशी हिंदू विश्वविद्यालय” की थीम पर झांकियां पेश की। प्रभारी कुलपति एवं कुलगुरू प्रो. संजय कुमार, तथा मुख्य अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, के कुलपति प्रो, बिहारी लाल शर्मा ने स्थापना दिवस झांकियों को हरी झंडी दिखाकर औपचारिक शुरुआत की। इन झांकियों में बीएचयू की विशेषताओं, विविधता व समृद्ध विरासत के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों व विकास गाथा को प्रदर्शित किया गया। स्थापना दिवस समारोह में कुल 30 झांकियां निकाली गईं।
मालवीय भवन से गुजरती हुई भव्य झांकियों में महामना की बगिया में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिची व प्राची के मेल की झलक पेश करते हुए विश्वविद्यालय की बढ़ती प्रतिष्ठा व मान को रेखांकित किया गया। विद्यार्थियों की प्रतिभा, उत्साह, व सृजनात्मकता ने संपूर्ण वातावरण में ऊर्जा व भाव का संचार किया। इन झांकियों में आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा के साथ होने से अधिक समग्र और प्रभावी उपचार पद्धति की उपलब्धता, भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक ज्ञान पद्धति व विज्ञान के साथ जोड़ने, पारंपरिक कृषि में आधुनिक नवाचार के इस्तेमाल तथा नवोन्मेष के माध्यम से कृषि के विकास, विद्यार्थियों को पारंपरिक ज्ञान के साथ साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की महामना की सोच को साकार करने में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की भूमिका, ज्ञान की विभिन्न विधाओं को सहेजने व आगे बढ़ाने में बीएचयू के योगदान, महामना के विचार के अनुरूप विद्यार्थियों को एक सकारात्मक व अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने एवं समावेशिता को प्रोत्साहित करने, विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक विरासत व गौरव यात्रा, आदि अनेक संदेशों पर मुख्य मंच के समक्ष प्रस्तुतियां दीं, जिस पर प्रभारी कुलपति एवं कुलगुरू प्रो. संजय कुमार, मुख्य अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, के कुलपति प्रो, बिहारी लाल शर्मा, कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति आसीन थे।
सेन्ट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना का नृत्य प्रदर्शन किया तथा विद्यालय के ऐतिहासिक कार्यों को दर्शाया, तो वहीं, सेन्ट्रल हिंदू बॉएज़ स्कूल ने अंतरिक्ष मिशन, विश्वविद्यालय कुलगीत व महाकुम्भ 2025 की झांकी प्रस्तुत की। रणवीर संस्कृत विद्यालय ने वेदपाठ वर्तमान समय में गीता के दर्शन की आवश्यकता को रेखांकित किया।
महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने अपनी झांकी में “विकास भी विरासत भी” पर नाट्य प्रस्तुति का मंचन किया और विरासत के साथ विकसित भारत में महिलाओं की भूमिका को प्रदर्शित किया। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय ने पर्यावरण संरक्षण, प्राच्य विद्या द्वारा खगोलीय घटनाओं की शिक्षा का प्रदर्शन किया। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के विभिन्न अंगों की झांकियों में आयुर्वेद चिकित्सा ज्ञान का समंदर, डेंटल साइंस द्वारा नुक्कड़ नाटक द्वारा डेंटल हाईजीन के प्रति जागरूक किया गया। विधि संकाय ने लघु नाटक के माध्यम से बताया कि विधि का नया स्वरूप महिलाओं के सशक्तिकरण में सहायक है। विज्ञान संस्थान ने समुद्र मंथन के साथ कृत्रिम उपग्रह के साथ सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों को दर्शाया। वेटेनरी साइंस द्वारा डॉग ट्रेनिंग, कड़कनाथ मुर्गो पर हो रहे शोध तथा पक्षी संरक्षण आदि को प्रदर्शित किया गया। विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद् ने ज़ुम्बा पिरामिड, हॉकी आदि अन्य खेलों के माध्यम से स्वस्थ रहने के तरीके सुझाए। मंच कला संकाय की झांकी में संगीत महाकुंभ के माध्यम से विभिन्न नृत्य मुद्राओ का प्रदर्शन किया गया।
विद्यार्थियों को सर्वांगीण विकास हेतु उन्हें शैक्षणिक व पेशेवर मार्गदर्शन के साथ साथ मानसिक व मनोवैज्ञानिक सहयोग उपलब्ध कराने की काशी हिंदू विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए विद्यार्थी कल्याण प्रकोष्ठ ने भी अपनी झांकी पेश की। यह झांकी पहली बार प्रदर्शित की गई।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बीएचयू ने स्वर्ण ड्रोन व राम मंदिर की सुंदर झांकी प्रदर्शित की।
प्रबंध शास्त्र संस्थान, दक्षिणी परिसर, पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान, राष्ट्रीय सेवा योजना, वैदिक विज्ञान केंद्र, उद्यान विभाग इकाई ने भी मनमोहक व महत्वपूर्ण संदेशों वाली झांकियां प्रस्तुत कीं।

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