मुख्यपृष्ठसमाचारस्काईवॉक की दुर्दशा पर मनपा ने मूंदी आंखें!

स्काईवॉक की दुर्दशा पर मनपा ने मूंदी आंखें!

-जीर्ण-शीर्ण अवस्था में कई स्काईवॉक…गंदगी से नागरिकों का चलना हो रहा मुश्किल

संदीप पांडेय / मुंबई

मुंबई में पैदल चलने वाले राहगीरों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे स्टेशनों और वाणिज्यिक केंद्रों को जोड़ते हुए स्काईवॉक बनाया गया है। इसे यह कल्पना करते हुए बनाया गया था कि जहां एक तरफ इससे मुंबईकरों को एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने में आसानी होगी तो वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर पैदल चलने वालों की भीड़ भी कम होगी, लेकिन स्काईवॉक पर चलने वाले नागरिकों को सुविधा की बजाय काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्काईवॉक के रख-रखाव का काम मनपा का है, लेकिन शायद मुंबई मनपा काम नहीं करना चाहती है। इसका प्रमाण मुंबई में कई स्काईवॉक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में दे रहे हैं।
फेरीवालों का अवैध कब्जा 
स्काईवॉक खराब हालातों और गंदगी के साथ इस पर अतिक्रमण और गलत गतिविधियां भी धड़ल्ले से चल रही हैं। कई जगहों के स्काईवॉक की टाइल्स टूट गई हैं तो वहीं कई सीढ़ियों पर लगे रेलिंग जंग युक्त हो चुके हैं। स्काईवॉक के दोनों किनारे पान-गुटखों की पीक से पेंट से भी अधिक लाल हो चुके हैं। वहीं स्काईवॉक पर रोशनी की व्यवस्था भी बिगड़ी हुई है, जिसके चलते महिलाओं की सुरक्षा पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। इतना ही नहीं स्काईवॉक अब बाजार में बदल चुका है, जिस पर फेरीवाले कब्जा करके अपना कारोबार कर रहे हैं।
खराब स्काईवॉक को ध्वस्त करने की मांग
स्काईवॉक की दयनीय हालातों पर लोगों से बातचीत की गई तो लोगों ने बताया कि वो इस समस्या से लंबे समय से ग्रसित हैं। उन्होंने इस बारे में कई बार इससे संबंधित अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अधिकारियों के कान पर उनकी बातों का जूं तक नहीं रेंगा। लोगों ने बीएमसी को खराब स्काईवॉक को ध्वस्त करने की बात भी कही।
अधिकारी हैं कि सुनते नहीं!
सायन रेलवे स्टेशन के बाहर स्काईवॉक पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, कुछ व्यक्तियों ने तो स्काईवॉक को हो अपना अस्थाई घर बना लिया है। इसके चलते पैदल चलने वाले लोगों को मजबूरन मुख्य सड़कों पर भारी वाहनों के यातायात के बीच आना-जाना पड़ता है। वडाला और डोंबिवली के स्काईवॉक पर अतिक्रमण और नशीली दवाओं से संबंधित गतिविधियों को लेकर नागरिकों की शिकायत है, जबकि गोवंडी के बेंगनवाड़ी जंक्शन स्काईवॉक पर प्रकाश और सुरक्षा के अभाव में शाम के समय पैदल चलने वाले नागरिकों का चलना मुश्किल हो जाता है। इस पर स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस बारे में उन्होंने कई बार मनपा अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अब तक उन्हें सिर्फ निष्क्रियता और निराशा ही हाथ लगी है।

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