सामना संवाददाता / उल्हासनगर
उल्हासनगर में बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का विगत महीने बड़े ही ताम-झाम के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्घाटन किया था। उद्घाटन के दौरान अस्पताल में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का नि:शुल्क उपचार करने की घोषणा की गई थी। लेकिन एक महीना से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी मुफ्त उपचार के नाम पर केवल ओपीडी शुरू है। गरीबों को दवा खुद के पैसों से खरीदनी पड़ रही है। मुफ्त उपचार के नाम पर मरीज और उनके परिजनों को केवल यहां बुलाया जाता है लेकिन होता कुछ नहीं है।
नहीं मिल रहा है उपचार
शनिवार को म्हारल गांव की निवासी निर्मला सिंह नाम की एक महिला का गिरने से हाथ फ्रैक्चर हो गया। मनपा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ले जाने पर ओपीडी डॉक्टर ने निर्मला सिंह का एक्सरे निकलवाया और उस एक्सरे का फोटो निर्मला सिंह के बेटे के मोबाइल पर भेज दिया। साथ ही डॉक्टर ने केस पेपर पर दवा लिखकर महिला को दे दिया। यही नहीं डॉक्टर ने निर्मला को मुलुंड के एक अस्पताल में जाने की सलाह दी। इसी तरह से अजय मिश्रा, ए. पाल, प्रवीण फोड़से ने बताया कि यह अस्पताल केवल नाम का ही अस्पताल बन कर रह गया है।
योजनाओं के मार्फत होगा मुफ्त उपचार
उल्हासनगर मनपा के स्वास्थ्य उपायुक्त डॉक्टर सुभाष जाधव ने बताया कि इस अस्पताल में आयुष्मान, महात्मा ज्योतिबा फुले जीवनदाई अन्य योजनाओं के मार्फत मुफ्त उपचार किया जायेगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू है। जब मान्यता मिल जाएगी तब नि:शुल्क उपचार संभव होगा।
केवल नाम का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
म्हारल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के युवा पदाधिकारी निकेत व्यवहारे ने बताया कि अठारह वर्ष के नीचे के बच्चे का इस अस्पताल में उपचार नहीं किया जाता है। केवल नाम के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का बोर्ड लगाया गया है। केवल लोकसभा चुनाव का लाभ लेने के लिए ‘घाती’ सरकार ने उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन इसका लाभ किसी को नहीं मिल रहा है।