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करोड़ों जन्मों के बाद देवी भागवत सुनने का अवसर मिलता है-डॉ. कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री

सामना संवाददाता / गोंडा

श्रीमद् भगवद फाउंडेशन एवम नारायण बाल विद्या मंदिर समिति द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत महापुराण एवं रूद्र चंडी महायज्ञ शिवानगर सोनहरा में कथा कहते हुए कथावाचक डॉ. कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने बताया कि यह वृत्तांत महर्षियों की इच्छा से विस्तार से सुनाते हुए श्री सूतजी कहने लगे कि सज्जनों! बहुत पहले द्वारका पुरी में भोजवंशी राजा सत्राजित रहता था, सूर्य की भक्ति-आराधना के बल पर उसने स्वमंतक नाम की अत्यंत चमकदार मणि प्राप्त की, मणि की क्रांति से राजा स्वयं सूर्य जैसा प्रभा-मंडित हो जाता था। इस भ्रम में जब यादवों ने श्रीकृष्ण से भगवान सूर्य के आगमन की बात कही, तब अंतर्यामी कृष्ण ने यादवों की शंका का निवारण करते हुए कहा कि आने वाले महानुभाव स्वमंतक मणिधारी राजा सत्राजित हैं, सूर्य नहीं। स्वमंतक मणि का गुण था कि उसको धारण करने वाला प्रतिदिन आठ किलो स्वर्ण प्राप्त करेगा। इस यज्ञ के यज्ञचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी महाराज सहायक आचार्य बालकदास,चंद्रकांत, भवानीफेर, राजित राम, पंकज, बलदेव, सूरज, छोटू, अनिल, अंजनी, विकास आदि तमाम जन समुदाय एवम ग्रामवासी-क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।

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