मुख्यपृष्ठस्तंभऑनलाइन ठगों से सख्ती से निपटना होगा

ऑनलाइन ठगों से सख्ती से निपटना होगा

ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले हर रोज नए तरीके खोज कर लोगों को लूट रहे हैं। जब तक लोग इनके पुराने तरीके को समझकर सचेत होते हैं, तब तक यह नया तरीका निकाल लेते हैं। इस बार एक और ऐसा तरीका निकाला है जिससे पैसा मांगने वाले को भी नहीं पता चल रहा कि उसने किसी से उधार भी लिया है। दरअसल मामला यह है कि हैकर्स आपकी फेसबुक आईडी को हैक करके आपसे जुड़े किसी साथी से गूगल-पे, पेटीएम या अन्य किसी भी वॉलेट में पैसे मांगने के लिए कहते हैं। हैकर्स आपकी आईडी पर इतनी रिसर्च कर चुका होता है कि उसको भली भांति पता होता है कि किससे पैसे मांगने हैं और किससे नहीं। दरअसल इस घटना को लेकर सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह कि इस मामले में पुलिस बहुत ज्यादा कुछ कर नहीं पाती। लाखों में किसी एक केस में ही आरोपी पकड़े जाते हैं और वो भी कोई हाई-प्रोफाइल केस होता है तब और शायद यही कारण है कि हैकर्स के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वो ऐसे फ्रॉड करने से कतई भी नहीं कतराते। यह तो आर्थिक धोखेबाजी है जिस पर पुलिस कुछ नहीं करती यदि किसी के अकाउंट से कोई किसी को जान से मारने की धमकी या कोई देशद्रोही गतिविधि करते तो क्या प्रशासन उस पर भी विश्वास नहीं करेगा। यदि ऐसी कोई घटना भी सामने आ जाए तो पुलिस कार्रवाई के नाम पर इतना परेशान करेगी की जैसा आप बहुत बड़े आतंकवादी हो और इसके बाद आप आसानी से अपनी जान भी नहीं छुड़ा सकते। उदाहरण के तौर पर यदि कोई जानबूझ कर काम ऐसा काम कर दे तो कैसे साबित हो। ऐसे मामलों में गंभीरता दिखाते हुए प्रशासन को मुस्तैदी से काम करने की जरूरत है चूंकि प्रमाणिकता का खेल को समझने की प्रणाली की सरलता से ही कोई भी केस समझा जा सकेगा।

साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार कई तरह से फेसबुक आईडी हैक हो सकती है लेकिन आजकल सबसे ज्यादा आसान तरीका है यह है जो लोग इस तरह के एप्स पर क्लिक जैसे कि ‘आप पिछले जन्म क्या थे’ व ‘आपकी शक्ल किस सेलिब्रिटी से मिलती’ अन्य आदि इस तरह की बातें। इस तरह के ऐप के लिंक पर क्लिक करते ही आपकी सारी डिटेल ऐसे प्लेटफार्म पर आ जाती है जिससे हैकर्स अपने तकनीकी तरीके से देख लेते हैं। दरअसल ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले अलग-अलग तरीके से धोखा करते रहते हैं और जैसे ही लोग इनके तरीके से वाकिफ होते हैं तब तक यह एक और ऐसा तरीका निकाल लेते हैं कि जिसमें लोग आसानी से इनके झांसे में आ जाते है।

पिछले वर्ष आरबीआई की गाइडलाइन जारी हुई थी यदि ग्राहक किसी भी बैंक साइट या लिंक्ड मर्चेंट वेबसाइट से धोखा खाता है बैंक को अपने ग्राहक पूरा पैसे लौटाना होगा। साथ ही यह भी कहा था कि ग्राहक किसी से भी अपना ओटीपी पिन, सीवीवी नंबर या बैंक की किसी भी प्रकार की जानकारी किसी को भी न बताएं। लेकिन जब तक यह आदेश जारी हुए तो तब तक को देश में लाखों लोगों को करोड़ों का चूना लग चुका था और इसके बाद भी जिन लोगों ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी उनको बैंकों से किसी भी प्रकार से सहायता नहीं मिली थी। इसमें अशिक्षित के साथ शिक्षित लोग भी चपेट में आए थे। जज से लेकर बड़े पुलिस अधिकारी तक इसका शिकार हुए थे। फ्रॉड करने वालों के पास तरीके तो बहुत हैं लेकिन लोगों पर बचने के लिए विकल्प बहुत कम। क्या इस तरह का साइबर क्राइम करने वालों के लिए शासन-प्रशासन के पास कोई ठोस नीति नही है या हैकर्स के पास पुलिस से भी ज्यादा हाईटैक तरीका है जिससे वह आसानी से बच निकलते हैं। बहरहाल मामला चाहे कुछ भी लेकिन अंत में यही बात समझ में आती है कि सुरक्षा ही बचाव है।

योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार

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