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जिस पर भगवान की कृपा होती है, वही सेवा, धर्म और भक्ति कर पाता है -श्री रामायणी जी महाराज

दीपक तिवारी

विदिशा। सेवा, धर्म और भक्ति सब कोई नहीं कर पाता। जिस पर भगवान की कृपा होती है, वही सेवा, धर्म और भक्ति कर पाता है। यह बात श्री दादाजी मनोकामनापूर्ण सिद्ध श्री हनुमान मंदिर रेलवे पुल के महंत महामंडलेश्वर श्री विश्वंभरदास जी रामायणी महाराज ने सत्संग के दौरान कही।

महाराज जी ने कहा कि हनुमान जी भक्ति के, सेवा के, धैर्यता के गंभीरता के, सेवा भाव के सबके आदर्श हैं। इसलिए हनुमान जी की सबसे ज्यादा उपासना होती है। हनुमान जी की गांव-गांव में मडिया है। हनुमान जी जैसा भगवान का कोई भक्त नहीं है। भगवान की भक्ति तभी होती है जब भगवान की कृपा होती है। श्री रामचरितमानस की चौपाई पर बोलते हुए महाराज जी ने कहा कि “मन, क्रम, वचन छाड़ चतुराई, भजत कृपा करिहहिं रघुराई।” छल, कपट छोड़ने पर ही भगवान की कृपा हो पाती है। बिना विश्वास के भक्ति नहीं होती और बिना भक्ति के भगवान की कृपा नहीं होती।

उन्होंने कहा कि हमारे राम जी प्रसन्न हैं तो सब प्रसन्न हैं और वे प्रसन्न नहीं है तो कोई प्रसन्न नहीं है। इसलिए हमारे राम जी को प्रसन्न रहना चाहिए। जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करे सब कोई।

महाराज जी ने कहा कि इसलिए जो भी काम करो श्रद्धा से करो, शुद्ध भाव से करो और प्रेम से करो। तभी भगवान प्रसन्न होकर कृपा करेंगे।

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