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‘विधानमंडलीय कार्यप्रणाली की पहचान’ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन…विभिन्न हथियारों का उपयोग करते हुए राज्य विधानमंडल में जनता के हित के लिए कानून बनाना व उनकी समस्याओं का समाधान विधेयक के माध्यम से किया जाता है-विधानमंडल सचिवालय सचिव, जीतेंद्र भोले

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य विधानमंडल जनता के हित के लिए कानून बनाना और उनकी समस्याओं का समाधान विधेयक के माध्यम से किया जाता है। सदस्य विभिन्न संसदीय उपकरणों का उपयोग करके सदन को जनता के प्रश्नों, समस्याओं तथा आस-पास की स्थितियों से अवगत कराते हैं। इसी जानकारी के आधार पर कार्रवाई की जाती है और सदन में जनसमस्याओं के समाधान पर जोर दिया जाता है। विधानमंडल सचिवालय के सचिव (1) जीतेंद्र भोले ने कहा कि मीडिया सदन की कार्यवाही के बारे में जनता को जानकारी देने का महत्वपूर्ण काम कर रहा है। सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय तथा मंत्रालय एवं विधानमंडल संवाददाता संघ के सहयोग से मंत्रालय के प्रेस कक्ष में ‘मीडिया साक्षरता अभियान ‘ के अंतर्गत ‘विधानमंडलीय कार्यप्रणाली की पहचान’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ‘विधानमंडल की प्रक्रिया एवं संकल्पना’ विषयक कार्यशाला के प्रथम सत्र में सचिव भोले ने मार्गदर्शन किया। सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक ब्रिजेश सिंह, मंत्रालय एवं विधानमंडल संवाददाता संघ के अध्यक्ष प्रमोद डोईफोडे, कार्यवाहक प्रवीण पुरो, निदेशक (प्रशासन) हेमराज बागुल, निदेशक (सूचना) डाॅ. राहुल तिडके उपस्थित थे।
सचिव भोले ने कहा कि सदस्य तारांकित प्रश्न, अतारांकित प्रश्न, ध्यानाकर्षण सुझाव, औचित्य के बिंदु, स्थगन प्रस्ताव, अल्पकालिक चर्चा, नियम 293 के तहत चर्चा आदि के माध्यम से सदन में अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रश्न उठाते हैं। व्यवसाय के इन सभी रूपों में बिल सबसे महत्वपूर्ण है। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद इसे विधान परिषद में भेजा जाता है। यदि आवश्यक हो तो इसे संयुक्त चिकित्सा समिति को भेजा जाता है। वित्तीय मामलों से संबंधित विधेयक सबसे पहले विधानसभा में पेश किए जाते हैं। धन विधेयक पारित करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है।
भोले ने आगे कहा कि विधानमंडल में वित्तीय मामले महत्वपूर्ण हैं। बजट पेश होने के बाद विनियोग विधेयक को पारित कराना होता है। यदि विधेयक पारित नहीं हुआ तो बजटीय प्रावधानों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। साथ ही सरकारी विधेयकों के साथ-साथ गैर-सरकारी विधेयक भी प्रस्तुत किए जाते हैं। सरकारी विधेयक की तरह गैर सरकारी विधेयक भी राजपत्र में प्रकाशित होता है। सदस्यों को सदन में विशेषाधिकार प्राप्त हैं। उन्हें बोलने की आजादी है। साथ ही सत्र के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही विधानमंडल की विभिन्न प्रकार की समितियां कार्य कर रही हैं और वर्तमान में 40 समितियां हैं। इन समितियों का कार्य वर्ष भर चलता रहता है। समितियां सरकार को सिफारिशें कर सकती हैं।
उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि आज की कार्यशाला से मीडिया प्रतिनिधियों को कार्य रिपोर्टिंग के दौरान लाभ मिलेगा ।

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