स्वर संगम फाउंडेशन, मुंबई द्वारा आयोजित काव्यपाठ की श्रृंखला में इस बार नाथद्वारा से पधारे चिंचक, कवि व निबंधकार सदाशिव जी श्रोत्रिय थे। सदाशिव जी श्रोत्रिय अंग्रेजी भाषा के प्रोफेसर रह चुके हैं, बावजूद इसके उनका लेखन हिन्दी भाषा, समाज व संस्कृति को समर्पित है। सदाशिव की कई किताबें प्रकाशित हैं, जिनमें कविता, कहानी, निबंध व आलोचना शामिल हैं।
दिनांक 6 नवंबर, बुधवार की शाम सदाशिव के अद्भुत काव्यपाठ से बेहद खूबसूरत व अविस्मरणीय बन गई। सदाशिव ने चक्की, भूलना, आज सुबह, निर्वासित आत्माएं, काश! फिर एकबार, सर्कस का घोड़ा नामक कविताएं सुनाईं।
इन कविताओं के बहाने उनसे खूब बातें हुईं। उन्होंने अपनी बातचीत में कहा कि “कविता लिखना ही कवि की जिम्मेदारी नहीं है? उसे श्रेष्ठ कविता को लोगों के बीच ले जाना और उसकी ग्राह्यता को बढ़ाते हुए उसकी खूबियों को भी बताना, उसके कवि कर्म का ही विस्तारित हिस्सा व कार्य है”।
उन्होंने कहा कि” कवि के मन में कविता एक खास रचनात्मक मनोभूमि में ही आकार लेती है। यह रचना का क्षण सामान्य से कुछ विशेष होता है।” उन्होंने बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि “कविता अल्टर्ड इगो की स्थिति में जन्म लेती है”।
उन्होंने काव्यकर्म को बेहद महत्वपूर्ण खूबसूरत व संजीदा कार्य माना।
जैसा कि विदित हो उन्होंने महाकवि निराला की कविता वनबेला, अज्ञेय की कविता ओ नि:संग ममेतर, मुक्तिबोध की कविता लकड़ी का रावण, शमशेर बहादुर सिंह की कविता* टूटी – बिखरी हुई, वीरेन डंगवाल की कविता रामपुर बाग की प्रेम कहानी, के साथ- साथ विष्णु खरे, नंद चतुर्वेदी, कृष्ण कल्पित और बद्रीनारायण आदि कवियों की कविताओं के आलोचनात्मक पाठ लिखें हैं, जो पाठकों द्वारा बेहद पसंद किए गए।
सदाशिव ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि “कवि को अपनी कविता के अलावा दूसरे कवियों की भी श्रेष्ठ कविताएं सुनानीं चाहिए”। इसी कड़ी में उन्होंने बद्रीनारायण की एक कविता बेगमपुर एक्सप्रेस भी सुनाई।
सदाशिव जी से बेहद महत्वपूर्ण बातें हुईं। इस बातचीत में रमन मिश्र, जुलमी राम सिंह यादव, अनिल गौण, राकेश शर्मा, हृदयेश मयंक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर श्री रामवक्ष आदि शामिल हुए । इन सबने अपने-अपने महत्वपूर्ण काव्यानुभवों से बातचीत को बेहद प्रासंगिक व अर्थवान बना दिया।
काव्यपाठ के कार्यक्रम में भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रो श्याम किशोर जी, प्रिंसिपल सुशील दुबे, निबंधकार गुलाब यादव, प्रिंसिपल बृजमोहन सिंह, डॉ मधुबाला शुक्ला, संस्कृत भाषा के कवि राम व्यास उपाध्याय और अध्यापन से जुड़े रहे अखिलेश राय जैसे प्रबुद्ध लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन शैलेश सिंह ने किया और आभार स्वर संगम फाउंडेशन के अध्यक्ष हृदयेश मयंक ने दिया।