सामना संवाददाता / ठाणे
एक बार फिर से ठाणे का छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल यानी कलवा अस्पताल में मौत का तांडव मच गया है। बताया जा रहा है कि इस अस्पताल में एक महीने के अंदर २१ नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। हालांकि, इस बारे में अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि नवजात शिशुओं की मौत कम वजन के कारण हुई है। गौरतलब है कि इसी अस्पताल में साल २०२३ के अगस्त में एक दिन में ही १८ मरीजों की मौत हो गई थी। मरने वालों में बच्चे ही नहीं बल्कि १० महिलाएं और ८ पुरुष शामिल थे। एक बार फिर ३० दिन के अंदर २१ नवजात शिशुओं की मौत से मामला गरमा गया है।
कम वजन से गई बच्चों की जान
इस बारे में अस्पताल प्रशासन ने बताया कि अक्सर यहां ठाणे, कल्याण, कसारा, कर्जत और पालघर के ग्रामीण इलाकों से गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जाता है। यहां के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पूरी कोशिश करते हैं कि महिला की डिलिवरी सही से करवाई जाए, लेकिन अलग-अलग कारणों से डिलिवरी के दौरान बच्चों की मौत हो जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, २१ में से १५ बच्चे इसी अस्पताल में पैदा हुए थे, जबकि ६ बच्चों को दूसरे अस्पताल से रेफर किया गया था। २१ में से १९ बच्चों का वजन बेहद कम (यानी १.५ किलो से भी कम) था। इनमें से १५ बच्चे ऐसे थे, जो प्री-टर्म बर्थ थे। दूसरी बात यह भी है कि अस्पताल में मरीजों के मुकाबले डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की संख्या काफी कम है।
मनपा के उपाय फेल?
पिछले साल अगस्त महीने में इसी अस्पताल में एक ही दिन में १८ मरीजों की मौत हो गई थी। उस घटना के बाद जागे मनपा प्रशासन ने अस्पताल पर दबाव कम करने के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन अब जब एक महीने में २१ नवजातों की मौत हो गई है तो सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन के नए उपाय फेल हो गए हैं?
सीएम के आदेश के बाद भी इंतजाम नहीं
विपक्ष ने मरीजों की मौत को लेकर सरकार पर चौतरफा हमला किया था। उसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अस्पताल के डीन से मिलकर अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा था, लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी अस्पताल में कोई इंतजाम नहीं किया गया।