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`हमारा घर, हमारी पहचान’ … एल्फिंस्टन ब्रिज के साथ टूटेंगे १९ आशियाने! …तोड़-फोड़ के विरोध में उतरे सैकड़ों नागरिक

नीलम रामअवध / मुंबई
मुंबई की चमकती रफ्तार के बीच, एल्फिंस्टन ब्रिज के नीचे शुक्रवार की शाम दर्द और लाचारी का मंजर पसरा था। सरकार ने जैसे ही पुल गिराने की तैयारी शुरू की, सैकड़ों लोग अपने घर, अपने आंगन, अपनी यादों को बचाने सड़क पर उतर आए। `यह सिर्फ पुल नहीं, हमारा जीवन जुड़ा है इससे,’ भीगी आंखों से एक बुजुर्ग ने कहा। १९ इमारतों के सैकड़ों परिवार इस डर से कांप रहे हैं कि कहीं रातों-रात उनका आशियाना मलबे में न बदल जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार कुछ लाख रुपए का मुआवजा थमाकर उनकी पूरी जिंदगी की जड़ें उखाड़ने को तैयार बैठी है। घर जिन गलियों में बसे, जहां बच्चों की किलकारियां गूंजीं, जहां बड़ों ने सपने बोए, उन दीवारों को महज `जर्जर’ बताकर छीन लेना कितना न्यायसंगत है?
नागरिकों का कहना है, `हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अपने वजूद के खिलाफ भी कैसे हो सकते हैं?’ एक महिला चिल्लाई, जिसके चेहरे पर भय और संघर्ष दोनों साफ झलक रहे थे। नया ब्रिज बनेगा, शहर दौड़ेगा, लेकिन इन बिखरे परिवारों का क्या होगा? जिनकी खुशियां, संघर्ष, रिश्ते सब इन दीवारों के साथ जुड़े हैं?
तोड़-फोड़ का समय और योजना
रिपोर्ट के अनुसार, एल्फिंस्टन ब्रिज का तोड़-फोड़ १० जुलाई २०२५ तक पूरा करना तय है। रेलवे हिस्से को छोड़कर बाकी पुल ३० मई २०२५ तक गिरा दिया जाएगा। भारी स्टील गर्डरों को हटाने के लिए ८०० मीट्रिक टन क्षमता वाली क्रेन लगाई जाएगी, और ५०० टन की एक क्रेन स्टैंडबाय पर रहेगी।
विकास किसके लिए
आज एल्ड़िफंस्टन ब्रिज के नीचे सिर्फ ट्रैफिक नहीं रुका-आज वहां उम्मीदें, सपने और एक पूरी पीढ़ी की पुकार ठहर गई है। `हमें विकास चाहिए, लेकिन अपने स्वाभिमान और घरों की कीमत पर नहीं।’

ब्रिज बंद, रास्ते जाम
पुल बंद होने के बाद करी रोड, डेलिस्ले रोड और तिलक ब्रिज जैसे वैकल्पिक रास्तों पर पहले ही ट्रैफिक का दबाव दिखने लगा है। सोमवार से स्थिति और भयावह हो सकती है। स्कूल जाने वाले बच्चे, ऑफिस जाने वाले लोग और अस्पताल पहुंचने वाले मरीज भारी परेशानियों का सामना करेंगे।

 

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