लोकल ट्रेन के बाद सबसे ज्यादा बेस्ट की बसों में लोग यात्रा करते हैं। वर्तमान समय में निजी ठेकेदारों द्वारा ऑटोचालकों को बसों की ड्राइविंग की जिम्मेदारी दी जा रही है, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
मुंबईकरों से कोई लेना-देना नहीं है सरकार का
मुंबई महानगरपालिका जब से शिंदे सरकार के अंतर्गत आई है, तब से महानगरपालिका का मुंबईकरों से नाता टूट गया है। उसका मुंबईकरों से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। उसे सिर्फ मतलब है तो अनाप-शनाप तरीके से पैसे कमाने से। अब आप समझ गए होंगे मैं क्या कहना चाहता हूं। अब आते हैं आपके सवाल पर। इस सवाल का जवाब वही है जो मैंने शुरुआत में दे दिया है।
– किशन आचार्य, मुलुंड
मनपा जो न कराए वह कम है
‘दोपहर का सामना’ को इस बात के लिए बधाई देती हूं कि वह हम मुंबई में रहनेवालों की समस्याओं को लेकर हमेशा जागरूक रहता है। अब आप बधाई के पात्र इसलिए भी हैं कि आपने इस महत्वपूर्ण मसले पर ध्यान दिया है। उस वक्त मेरी उम्र सिर्फ दस साल की थी, जब मैं मुंबई आई अपने परिवार के साथ। हमारा स्कूल काफी दूर था इसलिए बीएसटी की बसों से आना-जाना शुरू हो गया। उस वक्त बसों से यात्रा करना बहुत आसान और बढ़िया था। सबसे बड़ी बात सुरक्षित था। आज इन बसों में चढ़ने-उतरने में बड़ी दिक्कत होती है, डर लगता है। इसकी वजह आपने बता दिया है। हमें तो पता ही नहीं था कि रिक्शा ड्राइवर आजकल बसों के ड्राइवर बने हुए हैं, जिन्होंने छोटा सा रिक्शा चलाया हो उन्हें अचानक बस का भार दे देना यह उनके साथ भी नाइंसाफी है, लेकिन आज की मनपा जो न कराए वह कम है।
– शांति तिवारी, ठाणे
मुंबई को ठेकेदारों को सौंप दो
लगता है मुंबई महानगरपालिका को मुख्यमंत्री शिंदे ने एक गुरुमंत्र दे दिया है कि मुंबई को ठेकेदारों को सौंप दो यानी उसका निजीकरण कर दो। यह गुरुमंत्र उन्हें आज के प्रधानमंत्री सम्माननीय मोदी ने ही दिया है। मंत्र तो दे दिया साथ में फटकार भी लगाई होगी। अगर ऐसा नहीं किया तो लतियाकर फेंक दिया जाएगा। मजबूर, लाचार और कुर्सी के लिए किसी भी हद तक गिरनेवाला चीफ मिनिस्टर क्या कर सकता है? उसे अपनी कुर्सी की पड़ी है। उसे चीफ मिनिस्टर बने रहना है इसलिए उसने सीधे-सीधे मुंबई महानगरपालिका को भी फटकार लगाई है कि मुंबई महानगरपालिका को ठेकेदारों को सौंप दो। उन्हें खूब कमाने दो और हमें भी कमाने दो। भले ही मुंबई में रहनेवालों की हालत बदतर होती चली जाए।
– रत्ना शाह, बोरीवली
लालची लोगों की लग गई है नजर
मुंबई महानगरपालिका का शुमार एशिया की उन चंद महानगरपालिकाओं में होता है, जो अपने कामकाज को लेकर हुनरमंदों में गिनी जाती हैं। यह वही महानगरपालिका है, जिसका बजट हिंदुस्थान के कई छोटे-मोटे राज्यों से ज्यादा है, लेकिन अब इस महानगरपालिका को लालची लोगों की नजर लग गई है। उनकी नजर में मुंबई महानगरपालिका चुभने लगी है। उन्होंने इसे धीरे-धीरे बर्बाद करने की ठान ली है। शायद वह मुंबई महानगपालिका से ज्यादा महत्वपूर्ण महानगरपालिका गुजरात बनाना चाहते हैं इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भी तैयार कर लिया है। यही वजह है कि महानगरपालिका का रंग उतरता जा रहा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण आपका सवाल है।
– लता शर्मा, मालाड
अगले सप्ताह का सवाल?
बरसात शुरू हो चुकी है लेकिन मनपा द्वारा नालों की सफाई ठीक से न करवाए जाने के कारण पहली ही बारिश में बरसात का पानी जहां लोगों के घरों में घुस गया, वहीं आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस पर आपका क्या कहना है?
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