अमिताभ श्रीवास्तव
महाकुंभ में जहां एक ओर साधु-संन्यासियों के लिए घाट है, वहीं आम आदमियों के लिए भी है तो बाहर से आनेवाले वीआईपी लोगों के लिए भी अलग व्यवस्था है। अब प्रश्न उठता है क्या यह सच है? सच इसलिए लगता है क्योंकि अब तक जितने वीआईपी कुंभ में आए और उन्होंने गंगा स्नान किया वहां न लोग नजर आए और न ही साधु-संन्यासी। उद्योगपति गौतम अडानी भी महाकुंभ में पहुंचे थे। गौतम अडानी ने अपने परिवार के साथ संगम घाट पर पूजा-अर्चना की तो यह सवाल उठा। दरअसल, प्रयागराज में कुल चार घाट हैं। इन चारों ही घाटों का काफी महत्व है। इनमें सबसे बड़ा घाट है संगम घाट, जहां पर उद्योगपति गौतम अडानी ने अपने परिवार के साथ पूजा की। ऐसा नहीं है कि संगम घाट सिर्फ वीवीआईपी के लिए खुलता है। यहां आम आदमी भी पूजा कर सकते हैं। प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार के जिम्मे है, जिसमें प्रयागराज का लोकल प्रशासन भी पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। ये चारों ही घाट प्रयागराज प्रशासन के तहत आते हैं। प्रशासन के पदाधिकारी द्वारा ही तय किया जाता है कौन से घाट पर कौन पूजा करेगा। अगर कोई विशेष व्यक्ति किसी विशेष घाट पर पूजा करना चाहता है या आनेवाला है तो उसके लिए पहले ही उस घाट को खाली करवाया जाता है और पूरी तैयारी कर ली जाती है।
क्या आप विज्ञान पर भरोसा करते हैं?
विज्ञान और वैज्ञानिक पर भरोसा करना भी एक कठिन कार्य है। विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां अपनी परंपरा और मान्यताओं के आगे विज्ञान बौना है। वहां वैज्ञानिकों पर भरोसा नहीं किया जाता, बल्कि अपनी धारणाओं और मान्यताओं पर भरोसा किया जाता है। बावजूद इसके जब एक सर्वे किया गया तो पता चला कि वैज्ञानिकों पर भरोसा बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों और विज्ञान पर आम लोगों के भरोसे को लेकर हुए एक अध्ययन में लोगों से पूछा गया कि वे क्या सोचते हैं। अलग-अलग देशों के लोगों की राय में फर्क है। एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जो ६८ देशों में किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण पर आधारित है। यह शोध ईटीएच ज्यूरिख की विक्टोरिया कोलोग्ना और ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के नील्स जी मेडे के नेतृत्व में २४१ शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने किया है। इस सर्वेक्षण में ७१,९२२ लोगों से बात की गई है। इस सर्वेक्षण से यह पता चला कि अधिकांश देशों में ज्यादातर लोग वैज्ञानिकों पर विश्वास करते हैं। लोग यह भी मानते हैं कि वैज्ञानिकों को समाज और नीति निर्माण में ज्यादा हिस्सेदारी निभानी चाहिए। सर्वे में औसतन लोगों ने ५ में से ३.६२ अंक दिए। कोई भी देश ऐसा नहीं था जहां वैज्ञानिकों पर भरोसा बहुत कम हो। लोग वैज्ञानिकों की काबिलियत पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। ७८ फीसदी लोगों का मानना है कि वैज्ञानिक महत्वपूर्ण रिसर्च करने में सक्षम हैं। ५७ फीसदी लोग मानते हैं कि वैज्ञानिक ईमानदार हैं, जबकि ५६ फीसदी ने कहा कि वैज्ञानिक समाज की भलाई के बारे में सोचते हैं। हालांकि, सिर्फ ४२ फीसदी लोगों को लगता है कि वैज्ञानिक दूसरों की बातों पर ध्यान देते हैं।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)