अमिताभ श्रीवास्तव
तीन टेस्ट मैचों की सीरीज न्यूजीलैंड पहले ही जीत चुका था। मुंबई में आखिरी टेस्ट मैच में तीन दिनों के भीतर इतने उतार चढ़ाव देखने को मिले जिसने परिणाम कभी कीवियों की तरफ झुकाया तो कभी टीम इंडिया की तरफ। हालांकि, रोमांचक रहा मैच ऐसा कहना भी गलत होगा। कीवियों ने रोहित सेना का सूपड़ा साफ कर दिया जबकि रोहित सेना के पास पूरा मौका था, इस आखिरी टेस्ट को जीतने का। पूरी सीरीज ही न्यूजीलैंड के लिए शानदार रही। उसने एक अतिबलवान टीम को इतनी आसानी से मात दी जैसे वो नेपाल जैसी पिद्दी टीम के साथ खेल रही हो। ये वो दिग्गज शेरों से भरी टीम थी, जिसकी दुनिया में तूती बोलती थी। कीवियों ने ऐसा टेंटुआ दबाया कि टीम इंडिया के दिग्गज चारों खाने चित हो गए। पूरी सीरीज में रोहित शर्मा और विराट कोहली खामोश रहे। बाकी कुछेक खिलाड़ियों ने समय-समय पर प्रदर्शन दिखाने की कोशिश की मगर न्यूजीलैंड को परास्त करने के लिए उनका प्रदर्शन काफी नहीं था। बात की जाए कैसे न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया का टेटुआ दबाया? पहली बात, कप्तान लेथम को यह पता चल गया था कि टीम इंडिया अपने कोच गौतम गंभीर के खिलाफ प्रदर्शन में लगीं है। कीवी टीम इस अवसर का लाभ उठाना चाहती थी। उसने वो सब किया जो उसे करना था और इधर टीम इंडिया ने भी वो सब किया जो उसे करना था। गौतम गंभीर का विकेट लेने की मंशा के तहत न्यूजीलैंड से क्लीन स्वीप कर उसे हार मंजूर थी, वही हुआ भी। रोहित, विराट, बुमराह, सरफराज, सिराज कोई नहीं चला, खेलते हुए यदि कोई नजर आया तो वो ऋषभ पंत, अश्विन और रविंद्र जडेजा ही थे। बीच में कभी सरफराज, यशस्वी, शुभमन गिल ने थोड़ा खेल दिखाया मगर उनका खेल बस अपने पैर जमाने तक सीमित था। सरफराज तो बस एक शतक लगाकर बाद में पूरी तरह फेल हुए। वहीं, गेंदबाजी में बुमराह, सिराज ने कोई दम नहीं दिखाया। हां अश्विन, जडेजा ने यहां भी अपना कौशल दिखाया। अब इस पर गौर कीजिए कि ऐसा क्यों हुआ? गंभीर और कोहली के बीच मतभेद ठीक नहीं थे, रोहित गंभीर की कोचिंग से खुश नहीं लग रहे थे। कोहली और रोहित के अपने खेमे भी दिखते हैं, जिसमें यशस्वी, शुभमन, सरफराज, बुमराह जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। माना जा रहा है कि पहले दो मैच तो हारे ही, आखिरी मैच में इज्जत बचाने के लिए खेलना था मगर चूंकि क्रीज पर जमने के अभ्यास में ही कमी थी तो इस मैच में भी बंटाधार हो गया। आखिरी मैच २५ रन से न्यूजीलैंड जीत गया जबकि यहां टीम इंडिया को ही जीतना था। अकेले एयाज पटेल ने कुल ११ विकेट लिए। सोच सकते हैं कि पटेल के खिलाफ पूरी टीम इंडिया उस पिच पर मात खा बैठी, जो स्पिनरों के लिहाज से टीम इंडिया के लिए ही बनाई गई थी। अपनी पिच, अपनी जगह मगर मतभेदों से अपनी टीम इंडिया को हरवा दिया गया। जब सेनापति ही नहीं खेलना चाहता हो तो ऐसे में टेंटुआ दबाना कोई कठिन काम नहीं था। कीवियों ने यह काम कर दिखाया।
बैन से कैसे बच गए किशन?
हालांकि, वो मैच अभ्यास मात्र था मगर बैन तो लग ही सकता था। मगर बच गए ईशान किशन। जी हां, एक तो पहले ही टीम में न लौट पाने का दंश झेल रहे ईशान किशन को इंडिया `ए’ टीम में लिया गया था और यहां उन्होंने ऐसी हरकत कर डाली कि बैन लगते-लगते बच गया। मकाय में खेले जा रहे इंडिया की `ए’ टीम का पहला अभ्यास मैच ऑस्ट्रेलिया से हारकर खत्म हुआ। कप्तान ऋतुराज गायकवाड की प्रतिभा संपन्न युवा टीम ने जज्बे के साथ खेल दिखाया। जीत के लिए ८८ अतिरिक्त रनों की दरकार थी, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने कप्तान नाथन मेकस्वीनी की नाबाद ८८ रन और युवा बल्लेबाज ब्यु वेबस्टर की अविजित ६१ रनों की बदौलत हासिल कर लिया। ऑस्ट्रेलियन कप्तान मेकस्वीनी ने शानदार खेल दिखाया। उनका खेल देखकर पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने भी उनके ऑस्ट्रेलया की राष्ट्रीय टीम में शामिल करने की वकालत की है। बहरहाल,
ऑस्ट्रेलिया में मैच हो और विवाद न हो, ऐसा नहीं हो सकता। दरअसल, हुआ कुछ यूं कि मैच के दौरान ईशान किशन ने अंपायर शॉन क्रेग के उस निर्णय को मूर्खतापूर्ण करार दिया, जब उन्होंने गेंद को बदलने का निर्णय लिया। यह बॉल टेम्परिंग का मसला था। ऑस्ट्रेलियाई पारी के दौरान इंडियन खिलाड़ियों पर गेंद को टैंपर करने का आरोप लगाया गया था और अंपायर ने गेंद बदल दी। जब गेंद बदली तो विकेट कीपर ईशान दौड़ कर सामने आ गए और अंपायर से भिड़ गए। उन्होंने कहा कि तो क्या हम इस बॉल से ही खेलने वाले हैं? अंपायर ने कहा कि आपने स्व्रैâच कर गेंद टैंपर की तो अब बदली हुई गेंद से खेलिए। इस बात को लेकर ईशान खुश नहीं दिखाई दिए उन्होंने कहा कि ये बहुत स्टुपिड डिसीजन था।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)