मुख्यपृष्ठनए समाचारमोदी सरकार का अति आत्मविश्वास ... चुनावी बजट में भी राहत नहीं!

मोदी सरकार का अति आत्मविश्वास … चुनावी बजट में भी राहत नहीं!

यह चुनावी साल है। संसद के बजट सत्र के बाद संभवत: लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। पिछले १० वर्षों से मोदी सरकार देश की सत्ता पर काबिज है और उसकी जालिम आर्थिक नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। नोटबंदी और जीएसटी की मार से देश की जनता अभी भी उबरी नहीं है। बेरोजगारी और रोजाना बढ़ती महंगाई ने आम आदमी को बेहाल कर दिया है। ऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि शायद इस चुनावी साल में उन्हें सरकार कुछ राहत प्रदान करेगी। मगर उन्हें निराशा हाथ लगी है।
असल में मोदी सरकार इस समय अति आत्मविश्वास में डूबी हुई है। उसे लग रहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव जीतकर एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो जाएगी। उसका यही आत्मविश्वास इस बजट में लक्षित हो रहा है। यही वजह है कि उसने इस बजट में जनता का कोई खयाल नहीं रखा और किसी भी टैक्स में कोई राहत प्रदान नहीं की। महंगाई की मार से कराहते मध्यम वर्ग को उम्मीद थी कि उसे कम से कम इनकम टैक्स में ही कुछ राहत मिल जाएगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल गुरुवार को लोकसभा में छठी बार बजट पेश किया। चुनावी साल होने की वजह से इस बार अंतरिम बजट पेश किया था। इस बजट में इम्पोर्ट ड्यूटी समेत डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टैक्स की कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने माना कि २०१४ के बाद से टैक्स भरने वालों की संख्या २.४ गुना बढ़ गई है और डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन तीन गुना हो गया है। इस बजट में टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग का समय ९३ दिनों से घटाकर १० दिन कर दिया गया है। साथ ही रिफंड अब तेजी से किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने इस दौरान कहा कि सरकार २०२५-२६ में फिस्कल डेफिसिट को ४.५ प्रतिशत तक कम करने के लिए राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की राह पर आगे बढ़ रही है।
जीडीपी की वृद्धि दर रहेगी
अनुमान से आधा फीसदी कम
पहले लक्ष्य था ११ फीसदी, अब हो गया १०.५० फीसदी
वित्त वर्ष २०२४-२५ में बजट का आकार ६.१ प्रतिशत बढ़कर ४७.६६ लाख करोड़ रुपए हो गया है। व्यय में वृद्धि और पूंजीगत व्यय तथा सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए अधिक आवंटन के कारण बजट का आकार बढ़ा है। अंतरिम बजट में संशोधित अनुमान के अनुसार उधार के अलावा कुल प्राप्तियां २७.५६ लाख करोड़ रुपए रहने की संभावना है। इसमें कर प्राप्तियां २३.२४ लाख करोड़ रुपए हैं। कुल व्यय का संशोधित अनुमान ४४.९० लाख करोड़ रुपये है। राजस्व प्राप्ति ३०.०३ लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। यह पूर्व में जताये गए अनुमान से अधिक है। यह प्राप्ति अर्थव्यवस्था में वृद्धि की मजबूत गति और संगठित रूप को दर्शाती है। राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी का ५.८ प्रतिशत है। बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि अनुमान में कमी के बावजूद राजकोषीय घाटे में सुधार है। अगले वित्त वर्ष के लिए बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर १०.५ प्रतिशत आंकी गई है। यह पहले के ११ प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले कम है। वित्त वर्ष २०२४-२५ के लिए बाजार मूल्य पर जीडीपी ३२७,७१,८०८ करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। यह २०२३-२४ के लिए पहले अग्रिम अनुमान में जताए गए २९६,५७,७४५ करोड़ रुपए से अधिक है। यह १०.५ प्रतिशत वृद्धि को बताता है। २०२४-२५ में उधार के अलावा कुल प्राप्तियां और कुल व्यय क्रमश ३०.८० लाख करोड़ रुपए और ४७.६६ लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है। कर प्राप्तियां २६.०२ लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
शेयर बाजार को रास नहीं आया बजट
संसेक्स हुआ धड़ाम
सरकार का बजट कैसा है, इसका प्रतिबिंब देश के शेयर बाजार में दिखता है। बजट अच्छा है तो बाजार का सेंसेक्स चढ़ता है और बुरा है तो सेंसेक्स धड़ाम हो जाता है। कल बजट आते ही सेंसेक्स धड़ाम हो गया। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम बजट पेश करने के बाद कमजोर रुझानों के बीच देश के शेयर बाजार नुकसान के साथ बंद हुए। कल के कारोबार में बीएसई सेंसेक्स १०७ अंक कमजोर हुआ, वहीं निफ्टी में भी २८ अंक की गिरावट दर्ज की गई। व्यापक सूचकांक भी लाल निशान में बंद हुए। मिडवैâप इंडेक्स ०.४ फीसदी नीचे रहा, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स ०.२ फीसदी गिरा। बीएसई का ३० शेयरों वाला मानक सूचकांक सेंसेक्स १०६.८१ अंक यानी ०.१५ फीसदी की गिरावट के साथ ७१,६४५.३० अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में कल ७१,५७४.८९ से ७२,१५१.०२ के रेंज में कारोबार हुआ। दूसरी तरफ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में भी २८.२५ अंक यानी ०.१३ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी दिन के अंत में २१,६९७.४५ अंक पर बंद हुआ। निफ्टी में कल २१,६५८.७५ से २१,८३२.९५ के रेंज में कारोबार हुआ।
चुनावी रेवड़ियों में बंटेगी मुफ्त बिजली
लोकसभा चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए  सरकार ने एक दांव खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले मुफ्त रेवड़ियों को बांटे जाने के विरोधी थे। पर अब खुद उनकी सरकार मुफ्त रेवड़ियां बांटने में लग गई है। इस बजट में सरकार ने एक करोड़ घरों में ३०० यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है। हालांकि, ये बिजली सरकार द्वारा प्रदान किए गए सोलर पैनल से मिलेगी। बजट में रूफटॉप सोलराइजेशन मिशन के तहत सरकार हर महीने १ करोड़ लोगों को ३०० यूनिट बिजली प्रâी में देगी। सोलर रूफटॉप मिशन के तहत लाभार्थी हर साल १५,००० से १८,००० रुपए बचा सकेंगे। इस लिहाज से देखा जाए तो औसतन हर व्यक्ति करीब १,५०० रुपए हर महीने बचा लेगा। यह स्कीम जब भी लागू होगी, सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के तहत घरों में सोलर पैनल लगाने के लिए लोगों की जरूरत होगी, जिसे पूरा करने के लिए सरकार को रोजगार देना होगा। इसलिए सरकार मान रही है कि उसके इस स्कीम से देश में रोजगार मुहैया होगा।
११ लाख जवानों की टूटी आस!
अर्धसैनिक बलों के कैंटीन को नहीं मिली उएऊ में छूट
५० फीसदी राहत देने की थी मांग
अंतरिम बजट में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के ११ लाख जवानों की उम्मीद टूट गई है। वित्त मंत्री की घोषणा में सीएपीएफ कैंटीन के उत्पादों पर ५० फीसदी जीएसटी की घोषणा नहीं की गई। कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अंतरिम बजट में सीएपीएफ कैंटीन के उत्पादों पर ५० फीसदी जीएसटी की छूट देने की मांग की थी। मौजूदा समय में सीपीसी कैंटीन पर जीएसटी टैक्स के चलते २० लाख पैरामिलिट्री परिवारों का घरेलू बजट बिगड़ रहा है। एसोसिएशन द्वारा कई वर्षों से यह मांग की जा रही थी कि सीएपीएफ कैंटीन में मिलने वाले उत्पादों पर सेना की कैटीनों की तर्ज पर जीएसटी में ५० फीसदी की छूट मिले।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है, सेना की सीएसडी कैंटीन के उत्पादों में जीएसटी की छूट मिलती है। इसी तर्ज पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कैंटीन के उत्पादों पर ५० फीसदी छूट देने की मांग की गई थी। सीएपीएफ के परिवारों के लिए २६ सितंबर २००६ को सेंट्रल पुलिस कैंटीन (सीपीसी) की स्थापना की गई थी। इसका मकसद था, जवानों को बाजार भाव से सस्ता घरेलू सामान मुहैया कराना। सीपीसी कैंटीन के अस्तित्व में आने से पहले सुरक्षा बलों की यूनिट द्वारा सेना की सीएसडी कैंटीन से घरेलू उपयोग वाला सामान खरीदा जाता था। देश भर के विभिन्न राज्यों में तकरीबन ११९ मास्टर कैंटीन व १७७८ सीपीसी कैंटीन हैं। सीपीसी कैंटीन के सामान पर केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों को जीएसटी में कोई छूट नहीं मिलती। नतीजा, यहां से मिलने वाली वस्तुओं को अगर थोक भाव में कहीं से खरीदा जाता है, तो कैंटीन और बाजार की दरों में कोई फर्क नहीं रह जाता।

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