अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पनामा नहर पर नियंत्रण की बात करते रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस नहर को चीनी सैनिक नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा दावा किया कि अमेरिकी जहाजों से ज्यादा किराया वसूला जाता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कीमतें कम नहीं की गर्इं तो वह मांग करेंगे कि जल्द ही और बिना किसी सवाल के नहर पर अमेरिका को नियंत्रण दिया जाए। ट्रंप के दावों को लेकर अब पनामा नहर के प्रशासक ने सच्चाई बताई है।
सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को पनामा नहर के प्रशासक रिकोर्टे वास्क्यूज ने एक इंटरव्यू में ट्रंप के दावों का खंडन किया और बताया कि चीन इस नहर को नियंत्रित नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि नहर के दोनों छोर पर बंदरगाहों में काम करने वाली चीनी कंपनियां हांगकांग कंसोर्टियम का हिस्सा थीं, जिसने १९९७ में बिडिंग प्रक्रिया जीती थी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी और ताइवानी कंपनियां नहर के साथ अन्य बंदरगाहों को कंट्रोल करती हैं। ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया है कि नहर का नियंत्रण लेने के लिए वह सैन्य शक्ति के इस्तेमाल से पीछे नहीं हटेंगे।
अमेरिका को सख्त चेतावनी
पनामा नहर प्रशासक रिकोर्टे वास्क्यूज ने कहा कि तटस्थता संधि के कारण अमेरिकी झंडे वाले जहाजों को विशेष तवज्जो नहीं दी जा सकती। ट्रंप के बयान पर पिछले महीने पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने कहा था कि पनामा नहर का प्रत्येक वर्ग मीटर और उसके आस-पास का क्षेत्र पनामा का है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी जहाजों से ज्यादा शुल्क नहीं लिया जा रहा ।
आखिर पनामा पर किसका राज?
पनामा में बनी पनामा नहर ८२ किमी लंबी है। यह प्रशांत महासागर के साथ कैरेबियन सागर को जोड़ती। पहले फ्रांस ने इसे बनाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। १९०४ से १९१४ के बीच अंततः अमेरिका ने इसे बनाया। अमेरिकी सरकार ने तब कई दशकों तक इसका नियंत्रण किया। पनामा उस समय कोलंबिया का हिस्सा हुआ करता था। सूत्रों के मुताबिक कोलंबिया ने जब प्रस्तावित नहर संधि को खारिज कर दिया तो अमेरिकी सरकार ने विद्रोहियों को समर्थन दिया। कोलंबिया के उत्तरी प्रांतों ने अलग होकर पनामा रिपब्लिक का गठन किया. अमेरिकी नौसेना ने तब कोलंबियाई सैनिकों को विद्रोह दबाने से रोक दिया। एक नया देश बनाने के बावजूद पनामा नहर पर अमेरिका के कंट्रोल के कारण पनामा में १९६४ में अमेरिका विरोधी दंगे भड़क गए। अमेरिका की मजबूरी हो गई कि वह नहर को लेकर नया समझौता करे।