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पंचनामा : बेस्ट हुई बैड!… ड्राइवर कर रहे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन

-बेस्ट बसें अधिक हो रहीं दुर्घटना का शिकार

-मुंबईकरों की मांग, जल्द लगे लगाम

संदीप पांडेय

मुंबई को अंतर्राष्ट्रीय शहर कहा जाता है। एक अंतर्राष्ट्रीय शहर होने के नाते लोगों को इस बात की उम्मीद रहती है कि शहर में मिलने वाली सुविधा भी वर्ल्ड क्लास की होगी, लेकिन सड़कों की स्थिति, ट्रैफिक जाम से लोग परेशान हैं। लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं, खासकर बेस्ट के बस ड्राइवर। उनकी लापरवाहियों के कारण बसें हादसों का भी शिकार होती हैं। मुंबई की सड़कों पर लंबे-लंबे जाम लगते हैं, यहां अक्सर लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं।
अधिक बसें लीज पर
गौरतलब है कि मुंबई में बेस्ट द्वारा संचालित लगभग ३,३०० बसों में से १,५५० से अधिक बसें निजी ठेकेदारों से वेट लीज पर हैं, जबकि शेष का स्वामित्व ‘बेस्ट’ उपक्रम के पास है। वेट-लीज समझौते के तहत, निजी ठेकेदार बस के स्वामित्व, रख-रखाव और ड्राइविंग के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि बेस्ट टिकट बिक्री और विज्ञापनों के माध्यम से राजस्व सृजन पर ध्यान केंद्रित करता है।
बेस्ट ड्राइवरों से होती है नोक-झोंक
वाहन चालक बेखौफ होकर ट्रैफिक नियमों को तोड़कर सड़क पर सरपट गाड़ियां दौड़ाते हैं। वहीं अब यातायात नियमों का मजाक बनाने में मनपा की बेस्ट बसों के ड्राइवर भी नहीं चूकते हैं। कई बेस्ट बसों के ड्राइवर सड़कों पर बेधड़क होकर बस चलाते हैं। इतना ही नहीं वो रेड सिग्नल का पालन भी नहीं करते हैं। इस वजह से सड़क पर दुर्घटना होने का डर बना रहता है। बेस्ट के ड्राइवरों से और अन्य वाहन चालकों से हमेशा नोक-झोंक होती रहती है। बता दें कि बेस्ट के अधिकांश ड्राइवर ‘अनुबंध’ पर रखे गए हैं।
बेस्ट ड्राइवरों पर भी हो कार्रवाई
सवाल यह है कि प्राइवेट वाहनों द्वारा नियमों को तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई तो करती है, लेकिन ‘बेस्ट’ द्वरा अगर नियमों को तोड़ा जाता है तो उसे कैसे रोका जाए? अगर किसी भी प्रकार कि बस दुर्घटना होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? यह सवाल बेस्ट यात्रियों के साथ-साथ आम नागरिकों के मन में पैदा होता है। बेस्ट बसों के ड्राइवर आए दिन नियमों को तोड़ते हुए देखे जाते हैं, शायद यही कारण है कि बेस्ट बसों की दुर्घटना की शिकायत अक्सर सुनने और देखने को मिलती रहती है।
नहीं करते हैं ट्रैफिक नियमों का पालन
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि ४ जून को शाम ५ बजे सायन अस्पताल के बगल वाली सड़क पर एक बेस्ट बस रेड सिग्नल को तोड़ते हुए रोड क्रॉस कर गई। प्रत्यक्षदर्शी ने आगे कहा कि सायन अस्पताल में भारी संख्या में आने वाले मरीज और उनके परिजन इसी रोड से आते-जाते हैं। बस चालक के इस रवैए से बड़ी सड़क दुर्घटना हो सकती थी। इस दृश्य को देखकर लोगों के मन में डर पैदा होता है। लोगों का कहना है कि बेस्ट बसों को चलाने के लिए जो नए-नए चालक आए हैं वो सड़क नियमों का पालन नहीं करते हैं। अगर बेस्ट बसों के ड्राइवर नियमों को इसी तरह से तोड़ते रहेंगे तो बाकी वाहन वाले क्या करेंगे?
सरेआम होता है रेड लाइट जंप
बता दें कि इस प्रकार की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बेस्ट बसों को नियम तोड़ते हुए और रेड सिग्नल क्रॉस करते हुए देखा गया है। माटुंगा-पूर्व में माहेश्वरी उद्यान रोड पर एक बेस्ट बस के ड्राइवर ने तो उस वक्त लाल बत्ती को पार किया जब बच्चे सड़क पार कर रहे थे। रेड लाइट क्रॉस करने वाली इस बस का नंबर एमएच ०१ ईएम ३१५२ था। इसके अलावा अंधेरी से लेकर मालाड लिंक रोड तक कई बेस्ट बसों के ड्राइवर भी रेड सिग्नल का पालन नहीं करते हैं।
वहीं मार्च महीने में बेस्ट के ही एक अन्य बस नंबर एमएच ०१ डीआर ३७७६ के ड्राइवर ने भी लाल सिग्नल को जंप किया था। इतना ही नहीं इस बस के ड्राइवर द्वारा बस को गलत दिशा में ले जाते हुए भी दिखाई दिया। यह सब कुछ उस वक्त हुआ था जब एक महिला सड़क पार कर रही थी।
बेस्ट सेवा कैसे हो बेस्ट?
मैं बेलापुर से मुंबई मस्जिद बंदर ट्रांसपोर्ट के काम के लिए जाता हूं। कभी-कभी रेलवे की भीड़ को देखते हुए मैं बेस्ट की बस में बैठ जाता हूं, पर रविवार को सायन इलाके में सुबह करीब सात बजे एक दुर्घटना हुई। सीबीडी-बेलापुर से बांद्रा की ओर जा रही बेस्ट की बस ने एक निजी लग्जरी बस को टक्कर मार दी, जिसमें बेस्ट बस के चालक सहित तीन यात्री घायल हो गए थे। ऐसे कई हादसे और भी हुए होंगे, लेकिन लोगों का ध्यान तब जाता है जब कोई बड़ी दुर्घटना होती है। अब बेस्ट को ‘बेस्ट’ कहना भी गलत है।
-सुनील रामकिशोर शर्मा, खारघर
डर लगता है बेस्ट बस को देखकर
बेस्ट अब पहले जैसी नहीं रह गई है। पहले हम इन बसों में सफर करते वक्त सुरक्षा का एहसास करते थे। इन से हमारी यादें जुड़ी हैं, पर लगातर हो रही दुर्घटना से अब इसमें बैठना तो छोड़िए इनके सामने से गुजरने में भी डर लगता है। अब ड्राइवर लापरवाही से बसें चलाते हैं। कुछ दिनों पहले का ही एक हादसा ले लीजिए। चेंबूर के आरके स्टुडियो के पास ७३ साल की एक महिला को बस ने कुचल दिया था। ऐसे हादसे मन को झकझोर देते हैं। मेरा मानना है कि ऐसे हादसों को रोका जा सकता है, प्रशासन अगर सही ड्राइवर का चयन करे और गाड़ी का सही रखरखाव रखे।
-किरण जगदीश, घाटकोपर
ड्राइवरों के लिए हो कोर्स का आयोजन
बेस्ट बसों के हादसे न दिखे, ऐसा अब कम ही देखने को मिलता है। यातायात विभाग को ड्राइवरों को सुरक्षित ड्राइविंग नियमों के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए कोर्स आयोजित करना चाहिए। कई बार तो बस ड्राइवर स्पीड से चलती बस में अचानक से ब्रेक लगा देते हैं, जिससे यात्रियों को झटका लगता है बल्कि कई यात्री चोटिल तक हो जाते हैं।
-राहुल मेहता, कांदिवली

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