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पंचनामा : देश के कई राज्यों में फैला नशे का कारोबार : ड्रग्स तस्करों के सामने सरकार सरेंडर! …युवा पीढ़ी को नशेड़ी बना रहे हैं नशे के सौदागर

 दिल्ली से गायब हुई ५ लाख करोड़ की जब्त हेरोइन  
 हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांगा जवाब

अशोक तिवारी

देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। देश के कई राज्यों में नशे का कारोबार पैâला हुआ है। इतना ही नहीं बताया जाता है कि नशे का तंत्र इतना मजबूत है कि इसकी शाखाएं कई सरकारी विभागों तक फैली हुई हैं। यही कारण है कि कई बार कार्रवाई करने के बाद भी नशे का यह गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अभी हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें यह दावा किया गया था कि वर्ष २०१८ से लेकर वर्ष २०२० के बीच जब्ती रिकॉर्ड से ७०,७७२.५४४ किलोग्राम हेरोइन गायब हो गई। गायब ड्रग्स की अनुमानित कीमत लगभग ५ लाख करोड़ है। जिसके बाद हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय से मांगा जवाब-एचएम
कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका में दावा किया गया है कि वर्ष २०१८ से लेकर वर्ष २०२० के बीच जब्ती रिकॉर्ड से ७०,७७२.५४४ किलोग्राम हेरोइन गायब हो गई। गायब ड्रग्स की अनुमानित कीमत लगभग ५ लाख करोड़ है। याचिका में कहा गया है, विसंगति इतनी बड़ी है कि अगर इसे तुरंत नहीं सुलझाया गया तो इससे समाज में अराजकता फैल सकती है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि इस मामले में जानकारी और स्पष्टीकरण मांगने के लिए संभावित मंचों का इस्तेमाल किया, लेकिन आज तक कोई फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि बरामद हेरोइन कहां गायब हो गई है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की सुनवाई की और वित्त मंत्रालय तथा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को ४ सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

३६ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ७४,६२० गिरफ्तारियां
जानकारों के अनुसार, पंजाब देश में नशीली दवाओं की तस्करी का केंद्र बना हुआ है। पिछले साल राज्य से १५,४४९ लोग ड्रग्स स्मगलिंग में गिरफ्तार किए गए। ३६ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल ७४,६२० गिरफ्तारियां एनडीपीएस एक्ट के तहत हुई हैं। पिछले साल हुईं कुल १८,६०० गिरफ्तारियों में से ५,२९९ पंजाब से हैं। देश भर में चलने वाले सिंडिकेट पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, लक्षद्वीप से भी ये सिंडिकेट संचालित होते हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के विश्लेषण के अनुसार, ये सिंडिकेट के पश्चिमी यूरोप, कनाडा, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और पश्चिम एशिया के देशों के साथ संबंध रखते हैं।

हर दिन एक हजार किलोग्राम का होता है उपभोग
एनसीबी का अनुमान है कि ३६० मीट्रिक टन खुदरा हेरोइन और लगभग ३६ मीट्रिक टन थोक हेरोइन की तस्करी हर साल भारत के अलग-अलग शहरों में की जाती है। आंकड़ों के मुताबिक २ मिलियन उपयोगकर्ता हर दिन लगभग १,००० किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाली हेरोइन का उपभोग करते हैं।

 कई राज्यों में की जाती है तस्करी
पुलिस की जांच में सामने आया है कि उत्तरी राज्यों में नशे की दवाओं की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में भी ड्रग्स का कारोबार होता है। इसके लिए फर्जी बिल तक लगाए जाते हैं। अगर शहरों की बात करें तो मुख्य रूप से ड्रग्स तस्करों के निशाने पर मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलुरु, के साथ-साथ चेन्नई और केरला जैसे राज्यों के शहर होते हैं।

३६० बिलियन डॉलर का है कारोबार 
भारत भी इससे अछूता नहीं है। मुंबई के अलावा पंजाब, केरल, बंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई हर जगह ड्रग्स का यह कारोबार फैला हुआ है। अधिकांश ड्रग्स अफगानिस्तान से आती है। ४० प्रतिशत लैंड पर वहां सिर्फ ड्रग्स ही उगाई जाती है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां यह कारोबार और बढ़ेगा। दाऊद गिरोह वहां से यह ड्रग्स लेता है और भारत में इन्हें भेजता है। ड्रग्स से कमाई गई रकम बाद में आतंकवादियों और आईएसआई को दी जाती है। कुल मिलाकर ड्रग्स के अवैध कारोबार से होने वाली कमाई से टेरर फंडिंग की जाती है और बाद में इस फंडिंग से भारत में आतंकवादी साजिश रची जाती है। जानकारों के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार ड्रग्स का ही है- ३६० बिलियन डॉलर का। दुनिया में करोड़ों लोग ड्रग एडिक्ट्स हैं।

स्लम इलाके बन चुके हैं नशे का बाजार
मुंबई सहित कई शहरों में नशे के कारोबारी
कॉलेज के छात्रों एवं अन्य युवा वर्ग खासकर बेरोजगारों को आसानी से अपने जाल में फंसा लेते हैं। नशे का कारोबार स्लम इलाकों में बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जिस पर राज्य सरकार ध्यान नहीं देती है। ज्यादातर क्राइम नशेड़ियों द्वारा ही किया जाता है। प्राय: पुलिस की कार्रवाई के बाद नशे के कारोबारी छूट जाते हैं, जिसकी वजह से यह व्यापार रूप लेते जा रहा है।
इशाक शेख, पूर्व नगरसेवक, मुंबई

इच्छाशक्ति बहुत जरुरी
एक बार नशे की गिरफ्त में फंस चुके व्यक्ति को इलाज के लिए ड्रग रिहैब सेंटर में लाया जाता है, जहां इलाज कराकर उस व्यक्ति को ठीक करना संभव है। लेकिन इस इलाज में मरीज की इच्छाशक्ति बहुत हद तक काम करती है, अगर मरीज की नशे को छोड़ने की इच्छा न हो तो इस इलाज के नतीजे बहुत ज्यादा कारगर नहीं होते हैं।
डॉ. अनिल कुमार शुक्ला, मुंबई

हर गली-कूचे में बिक रहे मादक पदार्थ
शहरों की लगभग हर गली-कूचे और नुक्कड़ों पर अफीम,  चरस और गांजा जैसे मादक पदार्थ धड़ल्ले से बेचें जा रहे हैं। युवा वर्ग तक आसानी से नशे के सौदागरों की पहुंच है। अगर नशे का सामान इतनी आसानी से उपलब्ध न हो तो शायद नशा करने वालों की तादाद में भारी कमी आ सकती है। पुलिस को इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि नशे के कारोबार पर लगाम लगाई जा सके।
कृष्णमुरारी पांडेय, समाज सेवक, मुंबई

जनजागरूकता फैलाना बहुत जरूरी
आजकल स्कूल और कॉलेज में बच्चे अधिकतर बुरी संगत में पड़ जाते हैं। शुरुआत में बच्चों को लगता है कि उन पर इस संगत का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन धीरे-धीरे यही आदत इतनी ज्यादा गहरी पैठ कर जाती है कि उस आदत को वे जल्दी छोड़ नहीं पाते हैं। समाज में नशे के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है।
रमेशचंद्र सोंधी, समाज सेवक,  अंधेरी

 

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