-हीट स्ट्रोक के लगभग २५ हजार मामले आए सामने
-ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ा तापमान बदला मौसम का पैटर्न
-कोई कदम नहीं उठा रही है सरकार
धीरेंद्र उपाध्याय
गर्मी का सितम दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। जाते-जाते नौतपा ने न केवल अपना रंग दिखाया, बल्कि इसकी वजह से लोगों का जीना तक मुहाल हो गया है। खुद मौसम विभाग की तरफ से प्रचंड गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया गया है। बढ़ते तापमान के साथ ही गर्मी से होनेवाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। इसी में कई राज्यों खासकर उत्तर हिंदुस्थान के कई हिस्सों में तेज धूप और लू के कारण सैकड़ों लोगों की मौत की सूचना है, साथ ही अब तक लगभग २५ हजार मामले सामने आ चुके हैं। जानलेवा गर्मी से उत्तर भारत के आठ राज्यों में करीब ३२० लोगों की मौत होने की खबर है। इसके बाद भी सरकार इसे लेकर गंभीर होती हुई नजर नहीं आ रही है।
बता दें कि प्रचंड गर्मी से देश में अब तक ४०० से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि मई महीने में पूरे देश में केवल ४६, जबकि तीन महीनों में हीट स्ट्रोक से ५६ लोगों की जानें गई हैं। इसी तरह देशभर में तीन महीनों में कुल २४,८४९, जबकि अकेले मई में ९,८९९ मामले हीट स्ट्रोक के सामने आए थे। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, हीट स्ट्रोक से सबसे अधिक मौत उत्तर प्रदेश में हुई है। इसके बाद बिहार, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत आठ राज्यों में हीट स्ट्रोक से मौतों की खबर सामने आई है। दूसरी तरफ असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले लोग इन घटनाओं से अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
राष्ट्रीय आपदा घोषित करे सरकार
राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में राज्य में भीषण गर्मी के कारण हुई मौतों पर केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि वह भीषण गर्मी जैसी मौसमी घटनाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे। कोर्ट ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए पृथ्वी को बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। आजकल तापमान ५० डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जा रहा है, जिससे राजस्थान समेत पूरे देश के लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
ठंडे बस्ते में है विधेयक
हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि अब समय आ गया है कि सरकारें गर्मी और शीत लहरों से होनेवाली मृत्यु की रोकथाम के लिए साल २०१५ में लाए गए विधेयक को कानून के रूप में लागू करें। १८ दिसंबर, २०१५ को राज्यसभा में प्रस्तुत इस विधेयक के मुख्य प्रावधानों में से एक यह है कि भीषण गर्मी या शीत लहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए, साथ ही राज्य सरकारें और केंद्र सरकार को उसके अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि, यह विधेयक अभी तक पारित नहीं हुआ है। वर्ष २०१५ का उक्त विधेयक अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ा है।
भीषण गर्मी की क्या है वजह?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, आसमान से बरसती आग ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का ही असर है। जलवायु परिवर्तन से न सिर्फ तापमान बढ़ रहा है, बल्कि मौसम का पैटर्न भी बदल रहा है, जो भविष्य में सामने आने वाले गंभीर खतरों का स्पष्ट संकेत है। तापमान में तेजी से बदलाव आ रहा है, जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ रहा है। तापमान में वृद्धि से आगामी वर्षों में लू, गर्मी का मौसम ज्यादा समय तक रहने और सर्दी के मौसम का समय घटने जैसी स्थितियां पैदा होंगी। मौसम वैज्ञानिकों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि जिस जलवायु परिवर्तन के बारे में अब तक हम केवल पढ़ते-सुनते रहे थे, वह अब हमारे सामने आकर खड़ा हो गया है।
ग्लोबल वार्मिंग भी है जिम्मेदार
अमेरिकी संस्था ‘बर्कले अर्थ’ के मुताबिक, १८५१-१९०० की तुलना में १९८० तक केवल ०.४ डिग्री तापमान बढ़ा था, लेकिन उसके बाद से यह अंतर आधे समय में ही ०.६ डिग्री बढ़ गया है अर्थात् भारत २०२० तक एक डिग्री ज्यादा गर्म हो चुका है, जिसके लिए ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेदार माना जा रहा है।
इन्हें ज्यादा खतरा
हृदय रोगियों और हाइपरटेंशन या डायबिटीज के मरीजों को गर्मी से होनेवाली बीमारियों से बचने के लिए ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। किडनी डिजीज से ग्रस्त लोगों को भी खतरा होता है। ऐसे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि जैसे ही किसी को शरीर का तापमान बढ़ने, मितली आने, दौरे, तेज सिरदर्द या बेहोशी की शिकायत महसूस हो तो उस व्यक्ति के शरीर का तापमान कम करने के लिए तत्काल कोशिश करनी चाहिए।
डॉ. मधुकर गायकवाड़, प्रोफेसर, जेजे अस्पताल
तेजी से बढ़ रहे हैं हीट एग्जॉस्शन के मामले
लगातार बढ़ रही गर्मी से होने वाली थकावट के शिकार हुए मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसके शिकार हुए लोगों में मांसपेशियों में व्रैâम्प्स पड़ने, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी और दस्त आदि की शिकायतें आ रही हैं और ऐसे मरीज इन दिनों ओपीडी में लगातार पहुंच रहे हैं तथा ये सभी लक्षण हीट एग्जॉस्शन के हैं।
डॉ. श्रीजीत शिंदे
लू की चपेट में देश
देश के कई राज्य इन दिनों भीषण गर्मी और लू की चपेट में हैं। हीटवेव को सेहत के लिए गंभीर जोखिमों वाला माना जाता रहा है। अत्यधिक तापमान के संपर्क में आने से कई प्रकार से दुष्प्रभाव हो सकते हैं, यहां तक कि ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
रमाकांत पांडेय, ठाणे