-मरीजों का हाल-बेहाल…चारों ओर गंदगी का आलम
धीरेंद्र उपाध्याय
मुंबई के परेल में स्थित मनपा के प्रमुख अस्पतालों में से एक केईएम अस्पताल का काफी समय से कोई भी रहनुमा नहीं है। इस वजह से यहां मुहैया कराई गईं तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं की बैंड बजी हुई है। अस्पताल के ओपीडी से लेकर सभी वॉर्डों समेत चारों तरफ गंदगी और दुर्गंध ने लोगों को परेशान कर दिया है। सबसे दयनीय स्थिति जनरल वार्ड्स की है, जिसके अंदर घुसते ही लोगों को मजबूरन अपनी नाक पर रूमाल रखना पड़ता है। इसके अलावा दवाइयों की कमी हमेशा बनी रहती है। मरीजों के परिजनों का आरोप है कि अधिकांश मरीजों को ब्लड से लेकर कई जांचों को बाहर से कराने का दबाव खुद अस्पताल के चिकित्सक बनाते हैं। एमआरआई और सीटी स्कैन से लेकर सोनोग्राफी समेत रिडियोलॉजी से संबंधित तमाम टेस्ट कराने के लिए मरीजों को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। इस तरह से केईएम की कहानी अपनी जुबानी कहते हुए मरीजों ने साफ कर दिया कि अस्पताल का कामकाज पूरी तरह से रामभरोसे ही चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि मनपा के पांच प्रमुख अस्पतालों में केईएम का भी समावेश है। इस अस्पताल में ओपीडी में हजारों की संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं, जबकि सैकड़ों अस्पताल में भर्ती होते हैं। हालांकि, यह अस्पताल हमेशा से स्वास्थ्य असुविधाओं के कारण चर्चा में रहा है। कभी एमआरआई, सीटी और सोनोग्राफी के लिए छह से नौ-नौ महीनों तक मरीजों को वेटिंग पर रखने के लिए तो कभी दवाइयों, इंजेक्शनों की कमी और अस्पताल में गंदगी के लिए सुर्खियों में रहा है। इसके साथ ही अस्पताल में चूहे, बिल्लियों और कुत्तों से परेशानी होती रहती है, साथ ही साफ-सफाई का हमेशा अभाव रहता है। सबसे अधिक दिक्कत यहां दवाओं की बनी रहती है। दवाओं की कमी के कारण मरीजों को अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर की दूकानों से महंगीे कीमत में खरीदनी पड़ती है। कई मामलों में तो गरीबी के कारण मरीज इतनी महंगी दवाओं का बोझ भी नहीं उठा पाते हैं। लेकिन अस्पताल में कार्यरत संबंधित अधिकारियों को गरीब मरीजों की ऐसी स्थिति देखकर दिल भी नहीं पसीजता है।
ओटी के बाहर बैठने का नहीं है कोई प्रबंध
केईएम अस्पताल की हालत इतनी बदतर हो गई है कि ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठने के लिए किसी तरह का कोई भी प्रबंध नहीं है। ऐसे में विभिन्न वॉर्डों में भर्ती मरीजों को सर्जरी के लिए लाया तो जाता है, लेकिन बैठने की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें घंटों खड़े रहना पड़ता है। इतना ही नहीं जब वे खड़े-खड़े थक जाते हैं तो मजबूरन फर्श पर ही बैठ जाते हैं। ‘दोपहर का सामना’ से बातचीत करते हुए एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसके दोनों हाथों में दिक्कत है। तमाम जांच करने के बाद ऑर्थोपेडिक डॉक्टरों ने सर्जरी कराने की सलाह दी। इसके बाद अस्पताल में भर्ती हो गया। हालांकि, बीते आठ-नौ घंटे से मैं ओटी के बाहर अपने नंबर का इंतजार कर रहा हूं, लेकिन नंबर नहीं आया। अब तो मेरे पैरों ने भी जवाब दे दिया है, उसने कहा कि अस्पताल में रोजाना इस तरह के कई मामले देखे जा सकते हैं।
अतिरिक्त आयुक्त के औचक दौरे से था डर
मनपा के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. सुधाकर शिंदे द्वारा सभी मनपा अस्पतालों का औचक दौरा किए जाने के बाद से डर का माहौल हो गया था। हालांकि, उनके औचक दौरे कम होते ही केईएम अस्पताल में फिर से पहले जैसी स्थिति पैदा हो गई। अस्पताल में आनेवाले मरीज सीधे आरोप लगाते हुए कहते हैं कि डीन डॉ. संगीता रावत और अस्पताल प्रशासन इन सभी समस्याओं की अनदेखी करते रहे हैं।
सोनोग्राफी की दिखी विकट परिस्थिति
केईएम अस्पताल के रेडिएशन विभाग में सोनोग्राफी जांच कराने जा रहे मरीजों को विकट स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इमरजेंसी में सोनोग्राफी करानेवाले मरीज, वॉर्ड में मरीज और लीवर की बीमारी से पीड़ित रोगियों की कतार बढ़ती जाती है। मरीज का नंबर आने के बाद वहां तैनात डॉक्टर उसे अंदर लाकर कारण बताता है कि आपके वॉर्ड के डॉक्टर ने हमें सूचित नहीं किया है। ऐसे में चलने में असमर्थ मरीजों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है। यह मामला जब डॉ. सुधाकर शिंदे के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने डॉक्टरों के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को भी फटकार लगाते हुए डीन डॉ. संगीता रावत को तुरंत समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया। सफाई निरीक्षण के दौरान उन्होंने कई अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने डीन डॉ. संगीता रावत को इसके लिए जिम्मेदार गोसावी को तुरंत मेमो देने के निर्देश दिए।
एक बेड पर दो मरीजों का होता है इलाज
यहां अधिकांश वॉर्डों में एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जाता है। अस्पताल में जिस तरह से इलाज किया जा रहा है, वह मरीजों के लिए घातक है। इसकी शिकायत करने पर वॉर्डों में कार्यरत नर्स उन्हें ही फटकार लगाती हुई दिखाई देती हैं। दूसरी तरफ रेजिडेंट डॉक्टर भी मरीजों और उनके परिजनों से सीधे मुंह बात नहीं वâरते हैं। कई बार इस तरह से डांट-फटकार लगाते हैं कि इससे उनका मनोबल टूट जाता है।
कृष्णमुरारी पांडेय, ठाणे
जांच बाहर से कराने पर जोर
अस्पताल में जांच की सुविधा नहीं होती है जिसके बाद मरीजों को निजी लैबों की तरफ रुख करना पड़ता है। उन्हें जानबूझकर जांच कराने के लिए बाहर भेजा जाता है। फिलहाल, इसकी जानकारी मिलने के बाद डॉ. सुधाकर शिंदे ने सारे टेस्ट अस्पताल में कराने का निर्देश दिया है, जो मरीजों के लिए राहत भरी बात है, लेकिन इस पर सही तरीके से ध्यान नहीं दिया गया, तो स्थिति यथावत बनी रहेगी।
सुजाता झा, नागरिक
परिजनों का जीना दुश्वार
मनपा द्वारा संचालित केईएम अस्पताल में मरीजों को मुहैया कराई जा रही सुविधाओं की ऐसी-तैसी हो चुकी है। ओपीडी से लेकर वॉर्डों में गंदगी के कारण दुर्गंध से मरीजों और उनके परिजनों का जीना दुश्वार हो रहा है। अस्पताल में दवाइयों की कमी, एमआरआई और सीटी स्वैâन से लेकर सोनोग्राफी कराने के लिए मरीजों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
रिशु मिश्रा, नागरिक