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पंचनामा: दो वर्षों से नगरसेवक विहीन है मनपा बदहाल हैं सार्वजनिक शौचालय!

अशोक तिवारी

मुंबई में नागरिक सुविधाओं में लगातार वृद्धि के बावजूद बुनियादी सुविधाएं अभी भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं। अगर सार्वजनिक शौचालयों की बात करें तो यहां इस समस्या से अभी भी नागरिकों को जूझना पड़ रहा है। महिलाओं को तो और भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। मुंबई में औसतन प्रत्येक ४ शौचालयों में से केवल १ शौचालय ही महिलाओं के लिए उपलब्ध है। इस बारे में ‘प्रजा फाउंडेशन’ का कहना है कि मुंबई में जितने लोग झुग्गियों में रहते हैं, उनके लिए सार्वजनिक शौचालय अपर्याप्त संख्या में हैं। एक चौंकानेवाला तथ्य यह भी देखने को मिला है कि करीब ६९ फीसदी शौचालयों में पानी का कनेक्शन ही नहीं है। पिछले दस वर्षों में शौचालयों से संबंधित शिकायतों में ११२ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साल २०१४ में शौचालय से जुड़ी २५७ शिकायतों का आंकड़ा २०२३ में ५४४ तक पहुंच गया है। प्रजा फाउंडेशन ने यह भी दावा किया है कि नागरिकों में शिकायत दर्ज कराने को लेकर जागरूकता की कमी के कारण यह आंकड़ा वास्तविक आंकड़ों से कम हो सकता है।

जनसंख्या अधिक, शौचालय कम

जब शौचालयों की बात आती है तो मुंबई की रैंक काफी नीचे देखने को मिलती है। यहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए पर्याप्त शौचालय नहीं हैं। मुंबई महानगरपालिका के सी-वॉर्ड में मरीन लाइंस, चीरा बाजार, गिरगांव आदि इलाकों में व्यावसायिक और सांस्कृतिक कारणों से यहां जनसंख्या घनत्व अधिक है, इसके बावजूद पर्याप्त शौचालयों की कमी है। औसतन यहां पुरुषों के लिए ६ शौचालयों के बाद महिलाओं के लिए केवल १ शौचालय उपलब्ध है। महानगरपालिका के ई-वॉर्ड में प्रति १ सामुदायिक शौचालय में लगभग २४९ उपयोगकर्ता हैं, जबकि एफ-साउथ वॉर्ड में लगभग ११९ उपयोगकर्ता हैं।

जनप्रतिनिधि न होने से बढ़ी समस्या

पिछले दो सालों से मनपा का प्रशासन बिना जन प्रतिनिधियों के ही चल रहा है। जनप्रतिनिधियों के पास ही नागरिक अपनी समस्या को लेकर जाते हैं। लेकिन मनपा में कोई जनप्रतिनिधि नहीं होने से नागरिकों की समस्याओं को लेकर कोई चर्चा व समाधान नहीं हो पा रहा है।

शौचालयों में बिजली-पानी का अभाव

सार्वजनिक शौचालयों में कई जगहों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। मुंबई में ६९ प्रतिशत सार्वजनिक शौचालयों में पानी का पर्याप्त कनेक्शन नहीं है। साथ ही ६० प्रतिशत शौचालयों में बिजली भी नहीं है, जिससे नागरिकों को भारी असुविधा होती है। मनपा के के-ईस्ट वॉर्ड में ६४१ शौचालयों में से ५५६ शौचालयों में बिजली नहीं है तो ५५८ शौचालयों में पानी का कनेक्शन ही नहीं है। कांदिवली में भी ३७० शौचालयों में से ३०० शौचालयों में पानी की सुविधा नहीं है।

मनपा अधिकारी नहीं देते हैं ध्यान 

साकीनाका के संघर्ष नगर इलाके के कई शौचालय जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, पिछले ढाई सालों में महिलाओं के लिए नए शौचालय को बनाने तथा पुराने शौचालय की मरम्मत के लिए कई बार पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन मनपा अधिकारी हमेशा फंड का रोना रोते हैं। शौचालयों में पानी की टंकी लगाई गई है, लेकिन उसमें पानी की आपूर्ति नहीं की जाती है। मुंबई मनपा में नियुक्त प्रशासक सिर्फ मनपा की तिजोरी खाली कर रहे हैं जबकि जन समस्याओं पर उनका कोई भी ध्यान नहीं है।
ईश्वर तायडे, पूर्व नगरसेवक, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)

यूरिनल के भी पैसे किए जाते हैं चार्ज

कई सार्वजानिक शौचालयों में जेंट्स के लिए यूरिनल प्रâी है, जबकि महिलाओं के लिए यूरिनल के भी पैसे चार्ज किए जाते हैं, जो कि भेदभावपूर्ण रवैया है। इतना ही नहीं मनपा का यह भी दावा है कि हर शौचालय में सेनेटरी पैड उपलब्ध कराए जाएंगे, लेकिन किसी भी शौचालय में यह व्यवस्था दिखाई नहीं देती है।
रेशमा मिर्गल, विक्रोली

महिलाओं से भेदभाव कर रही है मनपा

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में महिलाओं को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा न दे पाना मुंबई महानगरपालिका के लिए शर्म से डूब मरने जैसी बात है। देश की सबसे अमीर मुंबई महानगरपालिका का महिलाओं के प्रति यह भेदभाव है।
पिंकी सिंह, गृहिणी

महिलाओं से लेते हैं शुल्क

मुंबई महानगरपालिका द्वारा शौचालय में एक फिक्स रेट चार्ज करने के लिए कोई नियम नहीं है। अगर नियम बनाया भी गया है तो उसका पालन नहीं किया जाता है। कहीं पर शौचालय चलानेवाले महिलाओं से ५ रुपए लेते हैं तो कहीं पर ८ से १० रुपए लेते हैं। महिलाओं के साथ रहनेवाले छोटे बच्चों के लिए टॉयलेट प्रâी होना चाहिए। शौचालय में महिला के लिए विशेष सुविधा की आवश्यकता होती है जो कि किसी भी शौचालय में उपलब्ध नहीं है।
शगुफ्ता अंसारी, प्रेसिडेंट रिलायबल फाउंडेशन

महिलाओं के लिए कम है टॉयलेट

सार्वजनिक शौचालयों में अगर पुरुषों के लिए ८ से १० सीटर टॉयलेट हैं तो महिलाओं के लिए मात्र एक से दो ही होते हैं। टॉयलेट की यह संख्या महिलाओं की आबादी को देखते हुए बहुत कम है। इसके अलावा अनेक टॉयलेटों में तो साफ-सफाई और पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं होती है। किसी-किसी इलाके में तो पब्लिक टॉयलेट मिलते ही नहीं हैं, जिसकी वजह से महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मुंबई महानगरपालिका को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए।
सीमा अनिल चौबे, बोरीवली

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