अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई की लोकल ट्रेनों को जीवनरेखा कहा जाता है, लेकिन समय के साथ बढ़ती भीड़ और दबाव ने इन लोकल ट्रेनों की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। मुंबई की सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे की सबअर्बन सेवा रोजाना ७० लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं।
सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के इन दोनों नेटवर्कों पर यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अधिक रेक और बेहतर सुविधाओं की जरूरत स्पष्ट है, लेकिन मौजूदा संसाधनों की सीमा के कारण यह चुनौतीपूर्ण हो गया है। वेस्टर्न रेलवे में कम कॉरिडोर होने के कारण ट्रेनों की संख्या भी कम है, लेकिन भीड़ लगातार बढ़ रही है। वहीं सेंट्रल रेलवे पर पांच कॉरिडोर होने के बावजूद यात्रियों का दबाव इतना अधिक है कि ट्रेनों में चढ़ना-उतरना कठिन हो गया है।
वहीं मुंबई के यात्रियों की मांग है कि लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाए और समयबद्धता में सुधार लाया जाए। साथ ही भीड़ को कम करने के लिए अधिक एसी ट्रेनों का संचालन भी शुरू किया जाए। खासकर, सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे दोनों ही नेटवर्क पर अतिरिक्त कोच और ट्रेनों की आवश्यकता है, ताकि यात्रियों को सफर के दौरान अधिक सहूलियत मिल सके।