सामना संवाददाता / मुंबई
प्रभादेवी रेलवे स्टेशन के उन्नयन के लिए बीते कुछ समय से चल रही योजनाओं में गंभीर खामियां सामने आई हैं। पहले, पुराने रेलवे भवनों को ध्वस्त कर १६०० वर्ग मीटर का खुला क्षेत्र तो बन गया, लेकिन यह बदलाव केवल अस्थायी प्रतीत होता है। क्योंकि इसमें स्टेशन की वास्तविक समस्या, जैसे अत्यधिक भीड़-भाड़, यात्री सुविधाओं की कमी और यात्री सुरक्षा की अनदेखी की गई है। शौचालय और साफ-सफाई की समस्या बरकरार है। सुविधाओं के नाम पर यात्रियों को रेलवे छल रहा है।
रेलवे अधिकारियों का दावा है कि स्टेशन पर जलजमाव की समस्या को हल करने के लिए पुराने सीवरेज और जलनिकासी प्रणाली को बेहतर किया जाएगा, लेकिन यह सुधार अभी तक लागू नहीं हुआ है। ऐसे में बारिश के मौसम में पानी निकासी की समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा, प्रभादेवी स्टेशन के पुनर्विकास में व्यावसायिक उपयोग के लिए कुछ हिस्सों को विकसित करने की योजना बनाई गई है। हालांकि, यह योजना यात्रियों की सुविधाओं के बजाय व्यावसायिक हितों को ज्यादा बढ़ावा देती नजर आ रही है। स्टेशन में यात्रियों के लिए आरामदायक और पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है। जैसे कि पर्याप्त बैठने की व्यवस्था, शौचालय और स्वच्छता एक सपना बनकर रह गया है। इसके अलावा इस योजना में व्यावसायिक विकास और पार्किंग सुविधाओं के साथ-साथ आनेवाले समय में एक बड़े शॉपिंग सेंटर और वाणिज्यिक केंद्र के निर्माण का प्रस्ताव है, जो यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
नई सड़कें और पार्किंग ब्लॉक बनाने की योजना तो है, लेकिन इससे पहले यात्रियों की सुविधाओं की कोई ठोस योजना सामने नहीं आई है। इस विकास कार्य के लिए समय सीमा का स्पष्ट रूप से निर्धारण भी नहीं किया गया है और न ही इसके लिए पहले से कोई दीर्घकालिक योजना ही तैयार की गई है, जिसका खामियाजा प्रति दिन आवगमन करने वाले यात्रियों को उठाना पड़ता है।