– फिर भी काम है अधूरा
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई मनपा द्वारा संचालित शताब्दी अस्पताल के पुनर्विकास का काम जून तक पूरा करते हुए अक्टूबर तक पूरी तैयारी के साथ शुरू करने की तैयारी थी, लेकिन पुनर्विकास की डेडलाइन पूरी होने के बाद भी अभी तक यह काम अधूरा है। इससे मरीजों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में असुविधाओं की मार झेल रहे मरीज बेहाल हो चुके हैं। साथ ही मनपा प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि आखिरकार इस अस्पताल का उद्धार कब होगा।
उल्लेखनीय है कि मुंबई मनपा मुंबईकरों को अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उपनगरीय अस्पतालों का पुनर्विकास कर रही है। इसमें गोवंडी स्थित पंडित मदनमोहन मालवीय यानी शताब्दी अस्पताल के पुनर्विकास का काम चल रहा है। हालांकि, इसका काम जून २०२४ तक पूरा करते हुए इसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध कराकर उसे अक्टूबर तक खोलने की तैयारी थी, लेकिन, मनपा इस डेडलाइन से भी चूक गई है और अस्पताल को अभी तक शुरू नहीं किया गया है। इसके चलते शताब्दी में सुविधाओं की भारी कमी देखी जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र नगराले ने बताया कि सुविधाओं के साथ ही कर्मचारियों की संख्या भी बहुत कम है। मौजूदा समय में २१० बेड वाले इस अस्पताल में मरीजों की देखभाल के लिए १५० कर्मचारी की जरूरत है, लेकिन यहां यह संख्या बहुत ही कम है। इस वजह से एक स्वास्थ्यकर्मी को ४० से ५० मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है। इसके अलावा मरीजों की कई जांचें बाहर से कराई जा रही हैं। साथ ही दवाएं भी बाहर से लेनी पड़ रही है।
तत्काल हो भर्ती
मनपा आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में नगराले ने कहा है कि इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना चेंबूर, गोवंडी, बैंगनवाडी मानखुर्द, शिवाजी नगर समेत विभिन्न क्षेत्रों से करीब एक हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसी के साथ ही ३० से ३५ मरीजों की सर्जरी होती है, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते कर्मचारियों पर काम का तनाव ज्यादा है। इसके अलावा अस्पताल में चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारियों, लैब, ईसीजी तकनीशियनों, एक्स-रे तकनीशियनों, फार्मासिस्टों और कई अन्य तकनीशियनों की कमी है, जिनकी तत्काल भर्ती की जानी चाहिए।