दीपक तिवारी / विदिशा
‘नीम हकीम खतरा-ए-जान’ एक प्रसिद्ध कहावत है और ये कहावत आप सबने जरूर सुनी होगी। इसका अर्थ है कि जिस आदमी के पास डॉक्टरी का अधूरा ज्ञान होता है, वह आपकी जान खतरे में डाल सकता है। इसलिए बीमारी का उपचार हमेशा किसी डिग्रीधारी योग्य डॉक्टर से ही कराना चाहिए, लेकिन जिस विभाग पर मरीजों की जान की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, यदि वही महकमा रिश्वतखोरी कर खानापूर्ति करने में लगा हो तो मरीज किस पर भरोसा करे और बीमार होने पर किस डॉक्टर के पास जाए? इस बड़े और अहम सवाल का जवाब जिम्मेदार अधिकारियों के पास भी नहीं है।
जी हां, बिल्कुल सही अंदाजा लगाया आपने। हम बात कर रहे हैं झोलाछाप डॉक्टरों की, जिनकी अवैध क्लीनिकें शहर से लेकर विदिशा जिले के लगभग हर गांव में खुली हुई हैं। बगैर पढ़े-लिखे अधूरे ज्ञान वाले ये झोलाछाप डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग की कृपा से अपनी क्लीनिकें बेधड़क चला रहे हैं और मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश शासन के निर्देश पर विदिशा जिले के तेजतर्रार कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने सीएमएचओ डॉक्टर योगेश तिवारी को झोलाछाप डॉक्टरों पर एफआईआर के निर्देश दिए थे। कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने विदिशा जिले के लगभग 125 झोलाछाप डॉक्टरों को नोटिस देकर तलब किया था, लेकिन आज तक एक भी एफआईआर किसी भी अयोग्य डॉक्टर के खिलाफ न होना स्वास्थ्य महकमे को कटघरे में खड़ा करता है। सूत्र बताते हैं कि जब भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इन डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं तो स्वास्थ्य विभाग नोटिस देकर उनसे महीना बांध लेता है और कोई कार्रवाई नहीं की जाती। अफसरों को कागजी कार्रवाई दिखाने के लिए झोलाछाप डॉक्टरों की एक दो क्लीनिकों को कुछ दिन के लिए सील कर दिया जाता है और उसके बाद क्लीनिक फिर चालू हो जाते हैं।
कलेक्टर को सीएमएचओ ने दी थी कार्रवाई की जानकारी
टीएल की बैठकों में कलेक्टर द्वारा सभी विभाग प्रमुखों से योजनाओं के क्रियान्वयन और विभागीय कार्यों में प्रगति की जानकारी ली जाती है। अक्टूबर में सीएमएचओ डॉक्टर योगेश तिवारी ने 117 झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई की जानकारी कलेक्टर को दी थी। लेकिन आज तक एक भी एफआईआर ना होना स्वास्थ्य विभाग को संदेह के घेरे में लाता है। स्वास्थ्य विभाग के अलावा विदिशा जिले में अन्य अधिकारी केवल नोटिस देने को ही कार्रवाई मानते हैं। इसलिए जिन क्लीनिकों को सीएमएचओ ने सील करने की बात कही थी, वे क्लीनिक फिर से खुल गए और तथाकथित डॉक्टर मरीजों का इलाज कर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में लगे हैं। बताया जाता है कि झोलाछाप डॉक्टरों से लेन-देन कर जिम्मेदारों ने मरीजों की जान खतरे में डाल रखी है।