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महामारी पर विराम

चीन को सबक सिखाने में देर क्यूं लगाई किसका था इंतजार
दुनिया खत्म होने पर थी कगार
महामारी फैलाते चीन हुआ न था शर्मसार
ऐसे देश को दुनिया का होना चाहिए था दिकार
गलत मंशा लेके चलने लगा था
जग करता इसका संहार
खुद ही मिट जाता तहस नहस होता
अंतरराष्ट्रीय कचहरी करता इसका तिरस्कार
अपने को सुपर पावर बनने में लगा था
पर बन गया फ्लोप और कर्जदार
इसकी गंदी नियत तब तक चलती जब तक

इसके खुद के देश की आबादी रहती सिर्फ एक दो हज़ार
अपने ही लोगों को ज़हर खिलाता फिर रोते रह जाता बौखलाता चीन को
सुननी पड़ती अंतरराष्ट्रीय की आवाज
ये महामारी फैलाना खत्म करता
वर्ना खुद ही मुंह के बल गिर जाता।

-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

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