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टैक्स देने से झोपड़पट्टियों के अवैध गाले नहीं होंगे वैध! …सोशल मीडिया पर प्रसारित अफवाहों पर न दें ध्यान

-मनपा ने शुरू किया अवैध व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का सर्वे
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा प्रशासन ने स्लम इलाकों में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर संपत्ति कर लगाने का पैâसला किया है इसलिए कर निर्धारण एवं संग्रहण विभाग की ओर से ऐसे प्रतिष्ठानों पर टैक्स लगाने के अनुरूप सर्वे की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। हालांकि, मुंबई मनपा प्रशासन द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि इस प्रकार के कराधान का मतलब यह नहीं है कि संबंधित अनधिकृत वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिकृत हो जाएंगे।
मुंबई मनपा अधिनियम, १८८८ के अनुसार, मुंबई मनपा द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर भूमि, भवन (कच्ची और पक्की) और अन्य सभी संपत्तियों पर टैक्स लगाकर वसूली की जाती है। हालांकि, मनपा प्रशासन की ओर से स्लम एरिया के उन सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर संपत्ति कर लगाने का निर्णय लिया गया है, जो अब तक टैक्स के दायरे में नहीं थे। ऐसा इसलिए क्योंकि मुंबई में करीब ढाई लाख झुग्गियां हैं। उनमें से कई झोपड़ियों (कम से कम २० फीसदी यानी ५० हजार झोपड़ियां) का इस्तेमाल छोटे-बड़े उद्योगों, दुकानों, गोदामों, होटलों जैसे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। चूंकि इन प्रतिष्ठानों को मनपा के माध्यम से बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, इसलिए इन वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों का मूल्यांकन करना और संपत्ति कर एकत्र करना आवश्यक है।

इसलिए यह फैसला लिया गया
है कि स्लम इलाकों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर संपत्ति कर लगने से संबंधित अनधिकृत प्रतिष्ठान सरकारी हो जाएंगे। ऐसी खबरें मास मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए भी प्रसारित की जा रही हैं। मुंबई मनपा अधिनियम, १८८८ की धारा १५२ (ए) के प्रावधान के अनुसार, यदि किसी भवन या भाग का अवैध रूप से निर्माण या पुनर्निर्माण किया गया है और उस पर प्रशासन द्वारा कर या जुर्माना लगाया गया है तो यह कहा गया है कि उक्त निर्माण या पुनर्निर्माण विनियमित नहीं है।

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