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आर-पार के मूड में देशभर के पेंशनधारक पेंशन के नाम पर ‘चूरन’ नहीं चलेगा! …. रु. ७,५०० से कम पर नहीं करेंगे समझौता

पेंशन के नाम पर सरकार लाखों कर्मचारियों के साथ मजाक कर रही है। काफी कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ महीने का एक हजार रुपए पेंशन का ‘चूरन’ मिल रहा है। अब महंगाई के इस जमाने में एक हजार रुपए में होता ही क्या है। यह सिर्फ खानापूर्ति है। यही कारण है कि पिछले काफी समय से देश के लाखों पेंशनभोगी सरकार से इसमें संशोधन करने की मांग कर रहे हैं। मगर सरकार उन पर ध्यान दे ही नहीं रही है। अब ये पेंशनधारक आर-पार के मूड में आ गए हैं। उनका कहना है कि वे ७,५०० रुपए से कम के पेंशन पर समझौता नहीं करेंगे।
कर्मचारी पेंशन योजना, १९९५ के तहत पेंशन पाने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों ने न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाकर ७,५०० रुपए करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गर्इं तो वे भूख हड़ताल करेंगे। इका कहना है कि देशभर से ५०,००० से अधिक पेंशनभोगी इस आंदोलन में शामिल होंगे। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ईपीएस-९५ योजना के तहत पेंशनधारकोेंं को इस समय १,००० रुपए की न्यूनतम मासिक पेंशन मिलती है। यह पेंशन सितंबर, २०१४ में लागू नियमों के मुताबिक, दी जा रही है। ईपीएफओ के डेटा के मुताबिक देशभर में करीब ७८ लाख पेंशनभोगी हैं। पेंशनभोगियों की मांगों के लिए आंदोलन कर रही समिति ने अपने बयान में कहा, ईपीएस-९५ की राष्ट्रीय आंदोलन समिति के नेतृत्व में पेंशनभोगी न्यूनतम पेंशन को ७,५०० रुपए प्रति माह तक बढ़ाने और अन्य लाभों की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने का पैâसला किया है। समिति ने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव के आश्वासन के बावजूद उनकी मांगें सरकार पूरी नहीं कर रही। समिति के अध्यक्ष अशोक राऊत ने कहा, यह हमारी अंतिम चेतावनी है। बार-बार आश्वासन देने के बावजूद हमारी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुर्इं तो हम आमरण अनशन करेंगे।

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